About Lal Bahadur Shastri in Hindi

लाल बहादुर शास्त्री जीवन, इतिहास, मृत्यु और प्राप्तियां – About Lal Bahadur Shastri in Hindi

About Lal Bahadur Shastri in Hindi दोस्तों आज हमने लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन का सम्पूर्ण वर्णन किया है।

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About Lal Bahadur Shastri in Hindi

लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को वाराणसी के समीप मुगलसराय में हुआ था |  वह एक सच्चे देश भक्त थे | वह 9  जून 1964 से 11 जनवरी 1966 को अपनी मृत्यु तक लगभग अठारह महीने भारत के प्रधानमंत्री रहे | उनकी देश के प्रति प्रेम अद्वित्य था, उनकी देश के प्रति सेवा भाव को देख कर आज भी देश उनको याद करता है | 

लाल बहादुर शास्त्री के पारिवारिक जीवन-

शास्त्री जी का जन्म एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था | उनके पिता का नाम शारदा प्रसाद था, जो की  एक स्कूल शिक्षक थे | बाद में उनके पिता को इलाहाबाद राजस्व विभाग में क्लर्क की नौकरी मिल गयी | शास्त्री जी की माँ का नाम रामदुलारी देवी था जो की एक गृहणी थी |

शास्त्री जी की दो बहनें थीं जिनका नाम कैलाशी देवी और सुंदरी देवी था | जब उनके पिता की मृत्यु हुई तब शास्त्री जी एक वर्ष के ही थे | उनके पिता की मृत्यु के बाद जैसे उनके घरो पर दुखो का पहाड़ टूट पड़ा | उसके बाद शास्त्री जी की माता ने शास्त्री जी और उनके दोनों बहनो को लेकर वो अपने पिता के घर चली गयीं | 

बड़े होने बाद उन्हें उनके चाचा के घर भेज दिया गया जहाँ वो उच्च विद्यालय की शिक्षा प्राप्त कर सके | वर्ष 1927 में जब वो 24 वर्ष के थे तब उनका विवाह ललिता देवी के साथ हुआ, जो उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर की थीं | शास्त्री जी के कुल छह बच्चे थे, जिनमे 4 लड़के और 2 लड़कियां थीं | 

लाल बहादुर शास्त्री का राजनैतिक जीवन 

शास्त्री जी जब अपनी स्नातक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद वो भारत सेवा संघ से जुड़ गए | लाल बहादुर शास्त्री जी महात्मा गाँधी से बहुत प्रभावित थे | उन्होंने महात्मा गाँधी के रह पर चलने का ढृढ़ निश्चय किया | आज़ादी से पहले वो ब्रिटिश जेलों में सात साल रहें | आज़ादी के बाद कोंग्रेस की सरकार सत्ता में आयीं | 1946 में जब कोंग्रेस की सरकार बनीं, उन्हें अपने गृह राज्य उत्तरप्रदेश का संसदीय सचिव नियुक्त किया गया और उसके कुछ समय बाद वो गृह मंत्री के पद पर भी आसीन हुए |

इसके बाद  वो 1951 में नयी दिल्ली आ गए, और उसके बाद उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल के विभिन्न विभागों के कार्य को संभाला – रेल मंत्री; परिवहन एवं संचार मंत्री; गृह मंत्री; वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री; और जब नेहरू जी बीमार थे तब उनकी जगह बिना विभाग के मंत्री भी रहे | जब एक रेल दुर्घटना में कई लोग मरे गए थे, तब उन्होंने जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था | उनके इस कार्य को प्रधानमंत्री नेहरू जी ने भी सराहा | 

प्रधानमंत्री 

1964 में जब नेहरू जी की मृत्यु हुई तब लाल बहादुर शास्त्री जी को भारत का प्रधानमंत्री बनाया गया | शास्त्री जी ने अपने पहले सवांददाता सम्मेलन में कहा था की उनकी मुख्य प्राथमिकता खाद्यान्न मूल्यों को बढ़ने से रोकना है, जिसमे वो सफल भी रहे | वे जनता की आवस्यकताओ के अनुरूप ही कार्य किया करते थे | शास्त्री जी शासनकाल बेहद ही कठिन रहा |

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 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर संध्या 7:30 बजे हवाई हमला कर दिया | जिसके तुरंत बाद प्रधानमंत्री ने आपातकालीन बैठक बुलाई जिसमे तीनों रक्षा क्षेत्रों के प्रमुख व मंत्रिमंडल के सदस्य शामिल थे | प्रधानमंत्री उस बैठक में थोड़ी देर से पहुंचे थे, और उनके पहुंचते ही विचार- विमर्श प्रारंभ हुआ | सभी ने प्रधानमंत्री से पूछा की “सर! क्या हुक्म है?”  शास्त्री जी ने तुरंत उत्तर दिया: आप देश की रक्षा कीजिए और हमें बताइये की हमें क्या करना है? 

इस युद्ध में शास्त्री जी ने नेहरू जी के मुकाबले उत्तम नेतृत्व किया और जय जवान-जय किसान का नारा दिया | इस वक़्त भारत की जनता का मनोबल काफी बढ़ा और सारा देश एकजुट हो गया था | परिमाणस्वरूप भारत ने युद्ध में विजय हासिल कि, और किसानों के भरपूर मदद से देश अन्न भंडार भी भर गयीं | इस तरह शास्त्री जी ने अपने राजनितिक सूझ-बूझ से देश की कई समस्याओं का समाधान किया | 

 भारत के पूर्व प्रधानमंत्री के बारे में ऐसी बातें जो हमें प्रेरित करती हैं

  1. लाल बहादुर शास्त्री केवल 16 वर्ष के थे जब महात्मा गांधी ने देशवासियों से असहयोग आंदोलन में शामिल होने का आह्वान किया था। लाल बहादुर शास्त्री ने तुरंत महात्मा गांधी के आह्वान का जवाब दिया।
  2. लाल बहादुर शास्त्री महात्मा गांधी से बहुत प्रभावित थे। “कड़ी मेहनत प्रार्थना के बराबर है,” उन्होंने एक बार कहा था
    1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान, जब देश को भोजन की कमी का सामना करना पड़ा, लाल बहादुर शास्त्री, जो उस समय प्रधान मंत्री थे, ने अपना वेतन लेना बंद कर दिया।
  3. 1965 के युद्ध के दौरान लाल बहादुर शास्त्री के नारे ‘जय जवान, जय किसान’ ने भोजन की कमी के बीच सैनिकों के साथ-साथ किसानों का भी मनोबल बढ़ाया
  4. लाल बहादुर शास्त्री जबरदस्त ईमानदारी के व्यक्ति थे; उन्होंने रेल मंत्री के अपने पद से इस्तीफा दे दिया क्योंकि वे एक रेल दुर्घटना के लिए जिम्मेदार महसूस करते थे जिसमें कई लोग मारे गए थे
  5. लाल बहादुर शास्त्री ने दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए देशव्यापी अभियान श्वेत क्रांति को बढ़ावा दिया। उन्होंने गुजरात के आणंद में अमूल दूध सहकारी समिति का समर्थन किया और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड बनाया
  6. भारत के खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए, लाल बहादुर शास्त्री ने 1965 में भारत में हरित क्रांति को बढ़ावा दिया, जिससे खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि हुई, खासकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में।
  7. प्रधान मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल केवल 19 महीने का था। 11 जनवरी, 1966 को ताशकंद में उनका निधन हो गया।
  8. “सच्चा लोकतंत्र या जनता का स्वराज कभी भी असत्य और हिंसक तरीकों से नहीं आ सकता है, इसका सीधा सा कारण है कि उनके उपयोग का स्वाभाविक परिणाम यह होगा कि विरोधी के दमन या विनाश के माध्यम से सभी विरोधों को दूर किया जाए” – लाल बहादुर शास्त्री
  9. “हर राष्ट्र के जीवन में एक समय ऐसा आता है जब वह इतिहास के चौराहे पर खड़ा होता है और उसे चुनना होता है कि किस रास्ते पर जाना है।” – लाल बहादुर शास्त्री

मृत्यु 

जब भारत ने पाकिस्तान के लाहौर पर आक्रमण बोला, तब अमेरिका ने लाहौर से अपने अमेरिकी लोगो को निकलने के लिए युद्धविराम की मांग की | भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को  रूस ताशकंद समझौते में बुलाया गया | वहां  शास्त्री जी ने ताशकंद समझौते में हर शर्ते को मान लीं, लेकिन पाकिस्तान को जीती हुई जमीं देने के लिए बिलकुल भी तैयार नहीं थे | लेकिन अंतर्राष्ट्रीय दबाव के कारण उन्हें ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करना पड़ा | 

शास्त्री जी ने खुद की प्रधानमंत्री के कार्यकाल में जीती जमीन को वापस करने से इंकार कर दिया | उस समय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अयूब खान थे, दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के द्वारा युद्धविराम पर हस्ताक्षर करने के कुछ घंटो बाद ही 11 जनवरी 1966 की रात भारत के प्रधानमंत्री की रहस्यपूर्ण तरीके से उनकी मृत्यु हो गयी | और मृत्यु का कारण दिल का दौरा बताया गया | 

शास्त्री जी की पूरे राजकीय सम्मान के साथ जमुना किनारे दाह संस्कार किया गया और उस स्थल को विजय घाट नाम दिया गया | शास्त्री जी की मृत्यु  के बाद बहुत लोगो का, जिनमें उनके परिवार के लोग भी शामिल हैं, उनका कहना था की शास्त्री जी की मृत्यु दिल के दौरे की वजह से नहीं अपितु जहर देने  हुई थीं | इसके बाद इसपर जाँच राज नारायण ने करवाई थी, जिसका कोई नतीजा नहीं निकला | और आरोप  भी लगाया जाता है की शास्त्री जी का पोस्ट मार्टम भी नहीं हुआ | जब 2009 में यह सवाल उठाया गया तो भारत सरकार ने कहा की शास्त्री जी के निजी डॉक्टर आर.एन.चुघ. और कुछ रूस के डॉक्टरों ने मिल कर उनका पोस्ट मार्टम किया था, लेकिन भारत सरकार  के पास इसका कोई रिकॉर्ड भी नहीं है | 

सारांश 

शास्त्री जी एक ईमानदार राजनेता थे उन्होंने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई | वह एक गाँधीवादी विचारधारा के वयक्ति थे | वो गाँधी जी से इतना प्रेरित थे कि उनके सभी आंदोलनों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया | वह अपने सादगी और विनम्र स्वभाव के लिए जाने जाते थे, जिसकी वजह से वे देश के लोकप्रिय नेताओं में से एक माने जाते हैं | उनके जय जवान जय किसान नारे आज भी प्रसिद्ध हैं |   

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