Basant Panchami Essay In Hindi दोस्तो आज हमने बसन्त पंचमी पर निबंध लिखा है। अक्सर विद्यालय मै बच्चो से वसंत पंचमी पर निबंध लिखवाया जाता है। इसलिए हमने बसन्त पंचमी पर बहुत सरल और आसान भाषा में निबंध लिखा है। ओर साथ ही हमने बसन्त पंचमी पर कविताएं लिखी थी।
10 lines Essay on Basant Panchami
बसन्त पंचमी हिंदुओ का प्रसिद्ध त्योहार है।
बसंत पंचमी को ऋतुओं का राजा कहा जाता हैं।
बसन्त पंचमी के दिन पिले वस्त्र धारण किया जाता है।
बसन्त पंचमी सर्दियों के अंत का सूचक हैं।
इस दिन विद्यालय मै विभीन प्रकार की प्रतियोगिता आयोजित की जाती है।
बसन्त पंचमी के दिन प्रकृति का कण-कण खिल उठता है।
इस दिन से ही प्रकृति में एक अनोखी उर्जा देखने को मिलती है।
खेतो मे सरसो के पीले फूलों की चादर बिछ जाती है।
गेहूं जो चना आदि फसल तयार हो जाती है।
प्रस्तावना
बसंत पंचमी का त्योहार माघ महीने मै पंचमी को मनाया जाता है। इस दिन ऋतुओं के राजा बसन्त का आगमन होता है यह उत्सव ज्ञान ओर संगीत की देवी को प्रणाम करने के लिए मनाया जाता है।
स्कूल कॉलेज मै इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती हैं। ओर इस दिन इंसान तो क्या प्रकृति भी खिल उठती हैं।
ओर इस वर्ष बसंत पंचमी का त्योहार 16 फरवरी 2021 को मनाया जाएगा।
ओर यह त्योहार सर्दियों का अंत ओर बसन्त ऋतु का प्रारंभ होता है।इस दिन ज्यादातर लोग पीले वस्त्र धारण करना पसंद करते हैं।इस दिन लोगो मै हर्ष उल्लास देखने को मिलता है।
बसंत पंचमी मनाने का प्राचीन कारण-
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि का सृजन किया तब पृथ्वी पर कोई नहीं बोलता था तब ब्रह्मा जी बहुत दुखी हुए तब उन्हें नारायण भगवान से कहा कि हे प्रभु जब तक प्रथ्वी पर कोई बोलेगा नहीं तब तक यह व्यर्थ है तब भगवान नारायण के कहने पर ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल में से जल भरकर पृथ्वी पर फेखा तब वहा से मां सरस्वती प्रकट हुई।
ओर जब ब्रह्म ने मां सरस्वती के हाथ में वीणा देखी तब उन्होंने बोला कि आपके हाथ में जो वीणा है इसे बजाइए। जब मां सरस्वती ने वीणा बजाई । तो सबको उन्होंने वाणी प्रदान कर दी।
ओर जिस दिन यह उदय हुआ उस दिन बसन्त पंचमी का दिन था इस लिए बसन्त पंचमी हमारे लिए पूजनीय है।
ओर एक पौराणिक कथा भगवान श्री कृष्ण ने भी मां सरस्वती को आशीर्वाद दिया था कि बसन्त पंचमी के दिन जो भी आपकी पुजा करेगा उसमे कभी भी ज्ञान की कमी नहीं होगी। इसकी वजह ये है कि जब बगवान श्री कृष्ण ने प्रथम बांसुरी बजाई थी तो स्वयं मां सरस्वती उनकी बासुरी में विराजमान हो गई थी। यह संगीत की प्रजता भी है ओर बुद्धि की प्रजाता भी है। ऐसी बहुत सी कहानियां है बसंत पंचमी मनाने की।
सरस्वती पूजा का दिन-
सरस्वती पूजा के दिन विभिन्न क्षेत्रों में मां सरस्वती की पुजा की जाती हैं सबसे पहले मां सरस्वती की प्रतिमा के सामने दीप प्रज्वलित करते हैं फ़िर पीले वस्त्र पहकर मां सरस्वती की वंदना करते हैं।
ओर उनसे ज्ञान बुद्धि की आर्धना करते हैं। ओर स्कूल कॉलेज में देखा जाए तो वहा पूजा के बाद उन्हें मां सरस्वती एवं बसन्त पंचमी का महत्व बताते हैं।
बसन्त पंचमी का महत्व-
बसंत पंचमी के आने पर प्रकृति क कण कण खिल उठता है। इस दिन पेड़ो पर नये पत्ते, फूलो पर कलिया खिल उठती हैं ओर साथ ही पशु पक्षी आनंदित हो जाते हैं।
बसन्त पंचमी के आगमन पर खेतो मे सरसो के फूलो की चादर बिछ जाती है।ओर बागो मै ना ना प्रकार के फूल आ जाते है। बसन्त पंचमी के समय गेहूं जो चना आदि फसल तयार हो जाती है ओर किसान इस वक्त किसान बहुत खुश होते है।
ओर मौसम बड़ा सुहावना हो जाता है। आकाश में सूरज अपनी लालिमा भिखेर देता है। गुलमोर सूरजमुखी आदि फूल खील उठते हैं।
ओर इस दिन विद्यार्थी मां सरस्वती की पुजा करके अपने गुरुजनों का आशीर्वाद लेते है। बसन्त पंचमी के दिन बच्चो की शिक्षा का अपना ही महत्व है इस दिन से ही छोटे बच्चे अपनी पढ़ाई प्रारंभ करते हैं। इस दिन सभी लोग पीले वस्त्र पहनते हैं क्योंकि पीले वस्त्र शुभ माने जाते हैं पीले वस्त्र मां सरस्वती को बहुत ही आकर्षित करते हैं।
उपसंहार
बसन्त पंचमी का त्योहार मन को प्रफुल्लित करके नई ऊर्जा प्रदान करता है। यह ऋतू प्रेम भाव को दर्शाती है। इस दिन मां सरस्वती की पुजा की जाती हैं। इसे ज्ञान और ज्ञान की देवी – सरस्वती के साथ सीखने की एक शुभ शुरुआत माना जाता है।जिससे विद्यार्थियों को नई शिक्षा मिलती है और इस त्योहार के महत्व के बारे में पता चलता है।
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