Bhagat Singh in Hindi

शहीद भगत सिंह के जीवन की अनसुनी बातें -Bhagat Singh in Hindi

भगत सिंह को किसी भी परिचय की कोई आवश्यकता नहीं, ये एक ऐसा वीर है जो देश के नौजवानों के अन्दर एक शोले की तरह 80 वर्ष बाद भी जल रहा और चीख कर बोल रहा है ‘इन्कलाब जिंदाबाद!’ तो आइये जानते है Bhagat Singh in Hindi के बारे में रोचक तथ्य |

भगत सिंह के जीवन की अनसुनी बातें Bhagat Singh in Hindi

भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर 1960 को लायलपुर जिले के बंगा गांव में हुआ था जो इस समय पाकिस्तान में है | जिस समय पर इनका जन्म हुआ था इनके चाचा अजीत सिंह और स्वान सिंह भारत की आजादी में अपना सहयोग दे रहे थे |  यह दोनों करतार सिंह सराभा द्वारा संचालित गदर पार्टी के सदस्य भी थे | भगत सिंह पर अपने दोनों चाचा का आजादी में सहयोग देने का गहरा प्रभाव पड़ा | 

यही कारण है कि वह बचपन से ही अंग्रेजों से घृणा करने लग गए थे | भगत सिंह से उनके चाचा अत्यधिक प्रभावित थे | 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह के मन पर बहुत बड़ा प्रभाव डाला | 

भगत सिंह ने पढ़ाई को छोड़कर 1920 में गांधी जी द्वारा चलाए गए | अहिंसा आंदोलन में भाग लेने और विदेशी सामान का बहिष्कार करने पहुंच गए थे |

14 वर्ष की आयु में भगत सिंह ने सरकारी स्कूलों की पुस्तकें और कपड़े जला दिए इनके बाद इनके पोस्टर गांव में छपने लग गए थे |  महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए आंदोलन और भारतीय नेशनल कॉन्फ्रेंस के सदस्य भगत सिंह थे | 

1921 में चोरा चोरी कांड होने के बाद महात्मा गांधी जी ने किसानों का समर्थन करना छोड़ दिया तो भगत सिंह पर इस चीज का बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ा इसके बाद भगत सिंह चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में गठित हुई गदर दल के हिस्सा बन गए | 

9 अगस्त 1925 को शाहजहांपुर से लखनऊ के लिए जाने वाली ट्रेन से काकोरी नामक छोटे स्टेशन पर इनके द्वारा सरकारी खजाने को लूट लिया गया था | इस घटना को हम काकोरी कांड नाम से जानते हैं | इस घटना को अंजाम देने वाले भगत सिंह ,चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल और अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिलकर अंजाम दिया गया था | 

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काकोरी कांड के बाद अंग्रेजों ने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के क्रांतिकारियों को पकड़ना और जगह-जगह अपने एजेंट्स को फैलाना शुरू कर दिया | 

इस सब से बचकर भगत सिंह और सुखदेव लाहौर पहुंच गए थे | जहां उनके चाचा द्वारा उनको दूध का कारोबार करने के लिए कहा गया था उनके चर्चा भगत सिंह की शादी करना चाहते थे और उनको एक बार तो लड़की के लड़की वालों के पास लेकर भी पहुंच चुके थे | 

भगत सिंह दूध का हिसाब करते पर बहस आपको सही नहीं कर पाते थे और सुखदेव खुद ही बहुत दूध पी जाते और दूसरों को भी मौत में दूध पिलाते थे भगत सिंह को रसगुल्ले खाना और फिल्में देखना बहुत पसंद था भगत सिंह राजगुरु और यशपाल के साथ हमेशा फिल्म देखने जाते थे | 

भगत सिंह को चार्ली चैपलिन की फिल्में देखना बहुत पसंद था | जिस पर चंद्रशेखर आजाद को हमेशा गुस्सा आता था | भगत सिंह और राजगुरु ने साथ मिलकर 17 दिसंबर 1928 को लाहौर के सहायक पुलिस अधीक्षक रहे अंग्रेज अंग्रेजी अवसर जेपी सांडर्स को मार डाला था | जिसमें चंद्रशेखर आजाद द्वारा उनको पूरी सहायता की गई  थी | 

क्रांतिकारी साथियों के साथ मिलकर भगत सिंह ने अलीपुर रोड स्थित ब्रिटिश भारत की तत्कालीन सेंट्रल असेंबली के सभागार में 8 अप्रैल 1929 को अंग्रेज सरकार को नींद से जगाने के लिए उन पर वम्ब और पर्चे फेकना चालू कर दिया था | 

भगत सिंह एक क्रांतिकारी देशभक्त ही नहीं बल्कि दार्शनिक चिंतक लेखक पत्रकार और महान पुरुष थे उन्होंने 23 वर्ष की इतनी छोटी सी उम्र में फ्रांस आयरलैंड और रूस की क्रांति का पूरी तरह संपूर्ण अध्ययन किया था | 

भगत सिंह हिंदी उर्दू अंग्रेजी संस्कृत पंजाबी और आयुष भाषा के को अच्छी तरह जानते थे | भगत सिंह भारत में समाजवाद के सबसे पहले व्याख्याता थे | भगत सिंह अच्छे पाठक और लेखक होने के साथ-साथ उन्होंने एक ‘अकाली’ और ‘कीर्ति’ दो अखबारों का संपादन भी किया था | 

इसके बाद भगत सिंह ने अपने आप को गिरफ्तार करवा दिया भगत सिंह की गिरफ्तारी ने भारत और इंग्लैंड के वायसराय को भी हिला कर रख दिया भगत सिंह नौजवानों के लिए एक प्रेरणा बन गए थे और देश के हर बच्चे बच्चे की जुबान पर भगत सिंह का नाम था और उनके द्वारा दिया गया नारा इंकलाब जिंदाबाद अब एक राष्ट्रीय नारा बन चुका था | 

लेकिन गांधीजी और नेहरू जैसे लोगो ने बम फेंकने का विरोध किया भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त पर मुकदमा चलाया और मुकदमे में भगत सिंह ने अपने जो बयान दिया वह यह है कि उनके द्वारा बताया गया।’हमने बम किसी की जान लेने के लिए नहीं बल्कि अंग्रेजी हुकूमत को यह चेतावनी देने के लिए थोड़ा कि भारत अब उठ खड़ा हुआ है तुम अपनी इन गंदी हरकतों को बंद करो तुम हमें मार सकते हो लेकिन हमारे मन के विचारों को नहीं’भगत सिंह के विचार आज भी जीवित हैं | 

 जिस प्रकार आयरलैंड और फ्रांस और अंत हुआ था उसी प्रकार भारत को भी स्वतंत्र होना ही पड़ेगा जिसे कोई रोक नहीं सकता जब तक भारत स्वतंत्र नहीं होगा तब तक भारत का प्रत्येक जवान अपनी जान देता रहेगा और फांसी के तख्ते पर केवल एक ही बात चिल्लाकर बोलेगा इंकलाब जिंदाबाद इंकलाब जिंदाबाद भगत सिंह को बम फेंकने के अपराध में आजीवन कारावास दंड दिया गया | 

भगत सिंह जेल के अंदर 2 साल तक रहे | इसके दौरान उन्होंने लेख लिखें और अपने क्रांतिकारी साथियों के साथ विचार व्यक्त करते रहे | जेल में रहने के बावजूद भी उन्होंने उनका अध्ययन बरकरार चलता रहा | उन्होंने अपने लेखों में पूंजी पतियों को अपना शत्रु और मजदूरों का  शोषण करने वाले चाहे भारतीय ही क्यों ना हो उनको भी अपना शत्रु ही बताया था | 

जेल में भगत सिंह द्वारा अंग्रेजी में  एक लेख लिखा गया था जिसका शीर्षक था ‘मैं नास्तिक क्यों हूं’ ? भगत सिंह और उनके साथी ने 64 दिनों तक भूख हड़ताल जारी रखी इसके दौरान उनका एक साथी यतींद्र नाथ दास ने भूख हड़ताल के दौरान अपने प्राण त्याग दिए 23 मार्च 1931 को भगत सिंह एवं इनके दो प्रमुख साथी सुखदेव एवं राजगुरु को फांसी दे दी गई थी जब उनको फांसी पर ले जाया जा रहा था तब भगत सिंह ‘बिस्मिल’ जी की जीवनी पढ़ रहे थे | 

हमारे द्वारा जो आपको Bhagat Singh in Hindi के बारे बताया गया है उसमे यदि आपको कोई भी गलती लगती है तो आप  हमे कमैंट्स के माध्यम से बता है |

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