हम सभी लोग(Earth day poem in hindi) जानते हैं की केवल पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह हैं जहा पर ही जीवन संभव हैं, लेकिन धीरे धीरे हम यह भूल गए हैं की अगर यह पृथ्वी सुंदर और खिलखिलाती रहेंगी तभी यहाँ पर रहने वाला हर जीव और खास कर मनुष्य ख़ुशहाल, तंदरुस्त रहेंगा।
तेजी से प्रदूषित हो रहे हमारे पर्यवारण को सुरक्षित करने और जीवनप्रदानी ग्रह पृथ्वी को सुरक्षित करने के लिए एवं लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाया जाता है।
इस दिन कई तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, जिसमें कुछ प्रेरक कविताएं और पोयम्स द्धारा पृथ्वी के महत्व को समझाया जाता है। और पृथ्वी के संरक्षण के उपायों के बारे में भी बताया जाता है।
इस आर्टिकल में हम आपको पृथ्वी दिवस पर लिखी गईं कुछ खास कविताओं के बारे में बता रहे हैं। जिन्हें पढ़कर आपको पृथ्वी के इतिहास को समझने में आसानी होगी और इसे सुरक्षित करने के लिए आपको प्रोत्साहन मिलेगा।
(Earth day poem in hindi)
मिट्टी से ही जन्म हुआ है,
मिट्टी में ही मिल जाना है।
धरती से ही जीवन अपना,
धरती पर ही तो सजे सब सपना।
सब जीव जन्तु धरती पर ही है रहते,
गंगा यमुना यही पर ही है बहते।
सब्जी फल यहाँ ही है उगते,
धन फसल यहाँ ही है उपजे।
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धरती की देख रेख कर,
हमको फर्ज़ निभाना है।
मेरी ही गोद में पले है जग सारा,
हर प्राणी कि तो जान हूँ मैं
समझूँ भेद का मैं ना कोई इशारा,
सबके लिए समान हूँ मैं
भरदी है अनाज से घर मैं तुम्हारा,
हर समस्या का समाधान हूँ मैं
धरती माँ जिसने भी पुकारा,
उसके लिए महान हूँ मैं
कभी मैं चंचल बहती धारा,
तो कभी सूखा रेगिस्तान हूँ मैं
हर किसान का बनूँ मै सहारा,
खेत हूँ और खलिहान हूँ मैं
जिसको हर मिटाने वाला हारा,
वोही तो अमिट निशान हूँ मैं
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सुंदर-सुंदर प्यारी-प्यारी
रंग बिरंगी पृथ्वी,
पहनके चुनरिया रंगो वाली
दुल्हन जैसी लगती ।
नीला-नीला आसमान है
बादल है काले-काले,
लाल, सफ़ेद, नीले, पीले
फूल बड़े मतवाले ।
हरियाली की फ़ैली है चादर
सब के मन को हरती,
सुंदर सुंदर प्यारी प्यारी
रंगीली धरती ।
काला कौवा, काली कोयल
भालू भी तो हैं काला,
कूकड़ू-कू भी करता है मुर्गा
लाल कलंगी वाला ।
सुबह-सुबह भूरी चिड़िया
चीं-चीं चीं-चीं करती,
सुंदर-सुंदर और प्यारी-प्यारी
रंग बिरंगी धरती ।
सुंदर-सुंदर प्यारी-प्यारी
रंग बिरंगी धरती,
पहनके चुनरिया रंगो वाली
दुल्हन जैसी लगती ।
4.
ग्रह-ग्रह पर लहराता है सागर
ग्रह-ग्रह पर धरती है उर्वर,
धरती पर बिछती है हरियाली,
ग्रह-ग्रह पर तनता है अम्बर,
ग्रह-ग्रह पर बादल भी छाते हैं,
ग्रह-ग्रह पर है वर्षा भी होती।
सब ग्रह है गाते, पृथ्वी रोती।
पृथ्वी पर भी है नीला सागर,
इस पर भी है धरती उर्वर,
पृथ्वी पर भी है शस्य उपजता,
पृथ्वी पर भी है श्यामल अंबर,
सब ग्रह गाते है, पृथ्वी रोती है।
सूर्य निकलता है, पृथ्वी हँसती है,
चाँद निकलता, वह मुसकाती है,
चिड़ियाँ गातीं सांझ सकारे है,
यह पृथ्वी कितना सुख पाती है;
सब ग्रह गाते, पृथ्वी रोती है।
एक दिन मुझको मिला एक कोआ,
बोला जीवन जीना बन गया ह्वाआ।
जंगल अब नहीं रह गए है बाकी,
सब तरफ है मिट्टी खाकी।
सीमेंट के भी देवदार खड़े है
ईटो के चिनार भी खड़े है
मदिरा बनकर बहता है पानी
पर्यावरण की खत्म है कहानी
मनुष्य ने यह भी कार्य किया है
अपना खुद से ही नाश किया है
बनकर रावण मनुष्य ने हर ली हर धरा की सुन्दरता
जिसे लोटा लेने के लिए कोई राम नहीं मिलता
ऊँची चिमनी रोकती है धमनी
साँस के साथ निगलता है धुँआ
जिन्दगी बन गयी है मोत का कुआँ
खो गए है जंगल गुम हो गए शेर
चारो तरफ कूडो के है ढेर
जंगल को ही शहर बनाकर
नदी पर बनाकर यु बांध,
बगियाँ को श्मसान बनाया है।
जीवन तुझको जीना ना आया
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मनुष्य तेरे ऊपर भी उधार बड़ा है
पर्यावरण का भी अपार बड़ा है
जीवन भर तू उतार नही पाए
दिनों दिन बढ़ता ही जाए
प्रति माह कुछ पेड़ लगा ही दो
अपना भी कर्ज कुछ यू चूका दो
भावी पीढ़ी को भी बतला दो
हमने अपना फर्ज है निभाया
जो कुछ उलझा था उसे भी सुलझाया
आगे अब से खड़ा हु तुम्हारे
चाहे त्याग ना या फिर चाहे खाना
धरती माता है हम सब की आओ इसे नमन करे
बनी रहे इसकी सुंदरता आओ हम ऐसे काम करें
चलो हम सब मिलजुल कर इस धरती को भी स्वर्ग बना दें
देखो इस सुंदर रूप धरा को इस का हर कोना महका दें
नैतिक जिम्मेदारी को समझकर नैतिकता से काम करें
हरा भरा करके इस धरती को आओ हम इसका सम्मान करें
मां तो है यह हम सबकी रक्षक हम इसके क्यों बने हैं भक्षक
यह धरती है एक पावन भूमि आओ बन जाएं इसके संरक्षक
इस कुदरत ने जो हमें दिया है हम सब उसका सम्मान करें
न छेड़ो इन उपहारों को,और नही कोई बुराई का काम करो।
बनी रहे पृथ्वी की सुंदरता, ऐसा भी कुछ काम करो।
धरती माता है सभी की आओ इसे प्रणाम करे
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