Environment Essay in Hindi--ईश्वर के आवरण को पर्यावरण कहते हैं, दूसरे शब्दों में हम ये भी कह सकते हैं की प्राकृतिक आवरण जो हमारे जीवन को सरल सुगम बनाता है पर्यावरण कहलाता है। पूरे ब्रह्माण्ड में जितने भी सजीव प्राणी हैं , पर्यावरण के बिना जीवन उनके लिए असम्भव है।
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Environment Essay in Hindi – पर्यावरण पर हिंदी निबंध
पर्यावरण ने हमें जल ,वायु ,खाद्य पदार्थ , अनुकूल वातावरण आदि उपहार स्वरूप भेंट किया है।
मनुष्य ने सदा से भरपूर मात्रा में पर्यावण का आनंद तथा इस्तमाल किया है। आज के यूग में मनुष्य ने काफी उच्च स्तर तक विकास कर लिया है ,जिसका पूरा श्रेय पर्यावरण को जाता है।
ईश्वर की बनायी हुयी इस धरोहर को हमें हमेशा सुरक्छित रखने के बारे में हमेशा तत्पर्य रहना चाहिए , तथा हमेशा इन बातों पर विचार करना चाहिए कि इसको संरक्छित कैसे किया जाये। Environment Essay in Hindi– आईये इस निबंध के माध्यम से कुछ मुख्य तथ्यों पर प्रकाश डालते हैं।
परिचय
जैसे कि हमने ऊपर के पैराग्राफ में जाना कि ईश्वर के आवरण को पर्यावरण कहते हैं। ईश्वर की बनायी इस धरोहर में सभी वह प्राकृतिक संसाधन मौजूद हैं जिसके माध्यम से हमारा जीवन सरल और सुगम हो जाता है ,और हम जिधर भी नज़र उठा कर देखें तो प्राकृतिक ने हमें चारों तरफ से घेरा हुआ है।Environment Essay in Hindi
पर्यावरण हमें हमारे जीवन में हर तरह से मदद करते हैं ,जिसके माध्यम से हम अपने जीवनको विकसित कर पते हैं। यह हमें हर वो सुविधा प्रदान करता है। जो इस गृह पर जीवन यापन के लिए आवश्यक है। पृथ्वी ही एक मात्र गृह है जहाँ जीवन मौजूद है।
जिस प्रकार से पर्यावरण हमारे जीवन को सरल और सुगम बनाता है। उसी प्रकार से वो भी हमसे आशा करता है। कि हम भी पर्यावरण की सुरक्छा हेतु प्रयास करें।
इक्कीसवीं सदी में इंसान ने इतनी तरक्की कर ली है कि उसका दुष्प्रभाव सीधा हमारे पर्यावरण पर ही पड़ता है। और ये हमारे जीवन के लिए उचित सूचक नही है। ये किसी एक जाती समाज की समस्या नही है ,पुरे विश्व के लिए एक सोचनीय प्रश्न है ?
विश्व पर्यावरण दिवस World ENvironment Day
जैसा कि हमने जाना की पर्यावरण हमारे जीवन के लिए कितना महत्व पूर्ण है। सरल शब्दों में कहें तो ये अतुलनीय है। पर जिस हिसाब से मनुष्य नयी तकनीकियों की तरफ आकर्षित हो रहा है।
वो जाने -अनजाने वातावरण को काफी छति पंहुचा रहा है। जिस प्रकार से हमारा जीवन पर्यावरण के बिना अधूरा है। उसी प्रकार से वातावरण को भी हमारे देख -रेख की उतनी ही आवश्यकता होती है।
इसी प्रयास में ताकि जन -जन के बीच मे ये जागरूकता फैलाई जा सके और हर व्यक्ति इस मुहीम में हिस्सा ले
World ENvironment Day ये दिवस 5 जून को मनाया जाता है। इसको विश्व पर्यावरण के नाम से भी जाना जाता है। पृथिवी पर रहने वाले सभी व्यक्तियों के छोटे -छोटे प्रयासों से हम अमूल्य पर्यावरण की सुरक्छा कर सकते हैं। उसी प्रयासों में ये पर्यावरण दिवस भी आता है। चलिए कुछ मुख्य बातों पर प्रकाश डालते हैं।
पर्यावरण सुरक्छा के उपाय
- इस दिवस के दिन हमें जन -जन में जागरूकता फैलानी चाहिए कि वे ज्यादा से ज्याद वृक्छा रोपण करें।
- हमें इस दिवस के दिन स्कूल्स में जागरूकता फैलानी चाहिए बच्चों को जोकि हमारा भविष्य हैं उनको पर्यावरण के महत्व के बारे में अवगत कराना चाहिए।
- हमें कोशिश करनी चाहिए कि उन माध्यमों को पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए जिनसे अपशिष्ट पदार्थों का निर्माण होता है ,एवं जन -जन में जागरूकता फैलानी चाहिए कि अपशिष्ट वस्तुंओं को उनके उचित स्थान पर ही फेकें।
- जल हमारे लिए कितना अतुलनीय है इसको हम कैसे और कितनी ज्यादा मात्रा में सुरक्छित रख सकते हैं उन माध्यमों के बारे में जन – जन में जागरूकता फैलानी चाहिए।
- जो अपशिष्ट वस्तुएं हमारे वातावरण को दूषित बनाती हैं उन वस्तुंओं को रीसायकल कैसे बना सकते हैं उसके बारे में जन – जन में जागरूकता फैलानी चाहिए।
- पत्येक व्यक्ति को समय – समय पर अपने वाहन की उचित जाँच कराते रहना चाहिए।
- हमें इस बात पर भी गौर करना चाहिए कि ऐसे प्रयास किये जाएँ जिससे विधुत की खपत कम हो सके ,तथा ऊर्जा संरक्छण के बारे में अग्रसर होना चाहिए।
- हमें लोगों में इस जागरूकता को फैलानी चाहिए कि वो कैसे ज्यादा से ज्यादा अपने शहर को स्वच्छ रख सकते हैं।
- ज्यादा से ज्याद शौचालय का प्रबंध कराना चाहिए।
हमें खुद को तकनिकी संसाधनों के अपेक्छा पर्यावरण की तरफ खुद को अग्रसर करना चाहिए।
इन छोटी -छोटी बातों की मदद से हम कुछ मात्रा में पर्यावरण की काफी मदद कर सकते हैं।
पर्यावरण प्रदूषण
पृथ्वी पर जीवन के यापन के लिए ईश्वर ने हमें पर्यावरण उपहार के रूप में दिया है। वह प्रत्येक तत्त्व जिनका उपयोग हम अपने दिनचर्या में करते हैं , वे सब तत्त्व पर्यावरण के अंतर्गत ही आते हैं.
जैसे – वायु ,धरती जल,पेड़,पर्वत,प्रकाश ,जंगल और अन्य प्राकर्तिक तत्त्व
हमारा पर्यावरण हमारे दिन चर्या को काफी सरल और सुगम बनाता है। उसके बावजूद पर्यावरण मनुष्य निर्मित तकनिकी तथा आधुकिक युग के आधुनिकरण के गलत प्रभाव से नष्ट होता जा रहा है। इसी प्रभाव के कारड़ हमें पर्यावरण प्रदूषण के दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ रहा है।
मानसिक ,सामाजिक ,शारीरिक,बौद्धिक तथा भावनात्मक सभी रूपों से पर्यावरण प्रदूषण हमारे जीवन को संक्रमित करता है। यदि इस पर अभी भी ध्यान नही दिया गया तो वो दिन दूर नहीं की पृथिवी पर भी जीवन नहीं बचेगा।
पर्यावरण प्रदूशण से विभिन्न प्रकार कि बिमारियों की उत्पत्ति होती है। जो कि काफी जान लेवा होती हैं ,जिसे व्यक्ति जीवन भर बर्दाश्त करता है। यह समस्या किसी विशेष जाती या समुदाय की समस्या नही है। ये समस्या पूरी धरती की समस्या है , तथा इस समस्या का समाधान किसी एक व्यक्ति विशेष के निकालने से नही होगा ,इस समस्या का निवारण पूरे मनुष्य जाति को मिलकर निकालना होगा , तभी वातावरण सुरक्छित हो पायेगा पूर्ण रूप से।
पर्यावरण को प्रदूषित करने के प्रमुख तत्त्व –
को प्रदूषित करने के कुछ प्रमुख तत्त्व हैं –
कार्बन मोनोऑक्साइड ,सल्फर डाईऑक्साइड ,क्लोरीन ,अमोनिया ,फ्लोरीन ,आदि गैस जो वातावरण को काफी प्रदूषित करती हैं।
वाहनों और कारखानों का प्रदूषित धुंआ ,धूल ,ग्रिट आदि जमें हुए पदार्थ ,डिटर्जेंट्स ,हाइड्रोज़न ,फ्लोराइड ,फ़ॉस्जीन आदि रासायनिक पदार्थ ध्वनि ,ऊष्मा एवं रेडियोएक्टिव पदार्थ आदि पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले मुख्य तत्त्व हैं। जो कि आवांछित रूप से पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं
पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार
पर्यावरण प्रदूषण चार प्रकार के होते –
- जल प्रदूषण
- वायु प्रदूषण
- भूमि प्रदूषण
- ध्वनि प्रदूषण
आईये संछेप में कुछ प्रकाश डालते हैं
जलप्रदूषण
जल के बिना जीवन असम्भव है। जल समस्त प्राणियों के लिए जीवन का आधार है। जैसे -जैसे मानव ने विकसित किया है ,पर्यावरण को काफी छति पहुचायी है। बड़े – बड़े कारखानों के प्रदूषित पानी की वजह से नदियों और नहरों का पानी प्रदूषित हो रहा है।
औधोगिक करण के कारण शहरीकरण की प्रवृत्ति दिन प्रतदिन बढ़ ही रही है ,जिससे गांव की संख्या कम हो रही है। और लोगों की जनसँख्या की वृद्धि के कारण भूमिगत जल भंडार पर दबाव बढ़ रहा है ,काफी गहराई तक बोरिंग करने से भूमिगत जल का दोहन हो रहा है।
शहर में रहने वाले लोगों का निष्काषित पदार्थ को नदियों के किनारे फेंक दिया जाता है। इन्ही कई तरीकों से मनुष्य ही पर्यावरण को प्रदूषित करता रहता है
वायु प्रदूषण
मनुष्य ने न ही केवल जल को प्रदूषित किया है बल्कि वायु को भी प्रदूषित किया हुआ है। हमारे वातावरण में कई प्रकार की संतुलित गैस पायीं जाती हैं। जिनका अपना उचित संतुलन होता है। यदि किसी कारण वश इनका संतुलन बिगड़ जाता है तो वायु प्रदूषित हो जाती है।
अन्य प्रदुषण की तुलना में वायु प्रदुषण का प्रभाव सबसे पहले दिखता है ,यदि वायु में जहरीली गैस घुल जाती है तो आस -पास के जिव जंतु की मृत्यु तुरंत हो जाती है। भोपाल गैस कांड इसका प्रत्यक्छ उदाहरण है।
भूमि प्रदूषण
भूमि समस्त जिव -जंतु के रहने का आधार है। मनुष्य के दुष्प्रभाव से भूमि भी अछूती न रह गयी। बढ़ती जनसंख्या के कारण जंगलों को काटकर मनुष्य के रहने का स्थान बनाया जा रहा है। जिसके कारण ऑक्सीजन की कमी हो रही तथा कार्बन डाईऑक्सीड की मात्रा बढ़ रही है। इससे केवल पुरे वायु मंडल को नुकसान नही हो रहा बल्कि जमीन के अंदर रहने वाले जिव जंतु का संतुलन भी बिगड़ रहा है।
पेड़ भूमि में पायी जाने वाले ऊपरी परत तथा उसके उर्वरा तत्वों को बहने तथा उड़ने से बचाते हैं। पेड़ों के निरंतर कटाई से भूमि बंजर और रेगिस्तान बन जाती है। और इस प्रकार सर पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता है।
ध्वनि प्रदूषण
मानव सभ्यता के विकास के प्रथम चरण में ध्वनि प्रदूषण गंभीर समस्या नहीं थी। पर जैसे -जैसे मनुष्य ने प्रगति की तरफ अग्रसर किया है ,तब से ध्वनि प्रदूषण भी अब बहुत गंभीर समस्या बन चुकी है। ध्वनि प्रदूषण का सीधा प्रभाव मनुष्य के सुनंने की शक्ति तथा उसके ह्रदय पर पड़ता है। इसके दुष्प्रभाव से और भी कई रोग उत्पन्न होते हैं।
जैसे कि –हृदय रोग ,सिर दर्द ,रक्त चाप ,अनिद्रा एवं मानसिक रोगों का भी कारण है।
पर्यावरण को प्रदूषित होने से कैसे बचाएं -पर्यावरण को दूषित होने से कैसे बचाया जा सकता है ?
- वनों की कटाई को पूर्ण तरीके से बंद कर देना चाहिए।
- लोंगो को ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाने के लिए जागरूकता फैलानी चाहिए।
- लोगों को ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाने के फायदे बताने चाहिए।
- प्लास्टिक उत्पादों पर पूरी तरह से रोक लगा देना चाहिए
- प्लास्टिक पदार्थों के जो भी दुष प्रभाव है उसके बारे में जागरूकता फैलानी चाहिए।
- अपशिस्ट प्रदार्थ को हम कैसे रीसायकल कर सकते हैं ,उन प्रयासों पर अग्रसर होना चाहिए
- खेती में रासायनिक खाद्य का प्रयोग कम करना चाहिए उसकी जगह जैविक पदार्थों का प्रयोग ज्यादा मात्रा में करना चाहिए।
- बढ़ती आबादी पर नियंत्रण करना चाहिए।
- कारखानों की चिमनियों पर फ़िल्टर लगवाने चाहिए।
- कारखानों के द्वारा निकले वाले प्रदूषित जल को कृत्रिम तरह से स्वच्छ करके नदियों में छोड़ना चाहिए।
- कम शोर वाले मशीनों को इस्तमाल में लाना चाहिए।
- वर्षा के जल को संग्रहित करके उसको स्वच्छ करके पुनः प्रयोग में लाना चाहिए।
- परमाणू परीक्षणों पर रोक लगा देना चाहिए।
- नवीकरण ऊर्जा के श्रोत्र के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए।
हमें आधुनिक तकनीकियों की वजह कृतिम तकनीकियों का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए। कुछ संसाधन ऐसे हैं जिनके माध्यम से हम वातावरण को काफी सुरक्छित रख सकते हैं।
अंतिम शब्द
हम आप सभी मेरे पाठकों से यह आशा करते हैं ,कि आप सभी को मेरे द्वारा लिखा गया Environment Essay in Hindi-पसंद आया होगा। तो आप सभी पाठकों से ये अनिरोध है कि हमारे द्वारा इस लिखे गए निबंध को अवश्य शेयर करें ,यदि आपके मन में इस निबंध से सम्बंधित कोई भी जिज्ञासा है तो कॉमेंट के द्वारा हमसे ज़रूर साँझा करें हम आपकी जिज्ञासा का समाधान करने कि कोशिश अवश्य करेंगें।