Essay on Durga Puja in Hindi

दुर्गा पूजा पर निबंध – Essay on Durga Puja in Hindi

Essay on Durga Puja in Hindi : आज हमने दुर्गा पूजा पर निबंध लिखा है. दुर्गा पूजा का त्यौहार पुरे भारत में बड़े धूम धाम से मनाया जाता है. इस उत्सव को लोग नवरात्री के नाम से जानते है। दुर्गा पूजा एक हिंदू देवी मां का उत्सव है और राक्षस महिसासुर पर योद्धा देवी दुर्गा की जीत है

Contents

10 Line Essay on Durga Puja in Hindi

  1. दुर्गा पूजा को हिन्दुओ का सबसे प्रमुख त्योहार माना जाता है।
  2. नौ दिनों तक माँ दुर्गा के नौ रूपों की बड़े धूम धाम से पूजा होती है।
  3. नौ दिनों तक संध्या के समय डांडिया और भजन का आयोजन किया जाता है।
  4. दुर्गा पूजा का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।
  5. माँ दुर्गा को शक्ति का प्रतीक माना जाता है क्योकि भगवान राम ने रावण के वध से पहलदुर्गा की पूजा की थी।
  6. आखिर के तीन दिनों में माता की विशेष पूजा की जाती है।
  7. माँ दुर्गा ने इस दिन महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था।
  8. इस त्यौहार का आयोजन दस दिनों तक किया जाता है
  9. दुर्गा पूजा के दिन बाजारों में खरीददारी तेज हो जाती  है।
  10. दशमी के दिन माँ दुर्गा की प्रतिमा का नदी में विसर्जन किया जाता है।

Best Essay On Durga Puja In Hindi-

प्रस्तावना – 

दुर्गा पूजा का त्यौहार हिन्दू धर्म का एक मह्त्वपूण त्यौहार है.और इस त्यौहार को नवरात्री के नाम से भी जाना जाता है. इस पर्व को हिन्दू धर्म के लोग बड़े उत्साह और प्रेम से मानते है और खासकर यह त्यौहार बंगाल में मनाया जाता है।

दुर्गा पूजा का प्रारम्भ तब हुआ जब राम भगवान् ने रावण को मारने के लिए दुर्गा माँ से शक्ति के प्राप्त करने के लिए पूजा की थी। दुर्गा पूजा का त्यौहार खुशियों से भरा होता है, खासकर बच्चो के लिए क्योकि बच्चो को दुर्गा पूजा के समय स्कूल से छुट्टिया मिलती है।

माँ दुर्गा को शक्ति का प्रतीक माना जाता है.इसलिए सभी उनकी पूजा करते है इस त्यौहार का आयोजन 10 दिनों तक चलता है। दुर्गा पूजा का त्योहार स्त्री सम्मान को भी दर्शाता है। इस समय घर और बाजारो में अलग ही रौनक देखने को मिलती है।

दुर्गा पूजा आयोजन- Durga Puja Par Nibandh

लगभग 3-4 महीनों पहले से मूर्तिकार मूर्तियां बनाने में व्यस्त हो जाते हैं। बाजारों में कपड़े गहने आदि सामन लेने के लिए बाजार में भीड़ उमड़ पड़ती हैं। दुर्गा पूजा का उत्सव हर वर्ष शुक्ल पक्ष मे अक्टूबर- नवम्बर मनाया जाता है और यह त्योहार दशहरे के साथ ही मनाया जाता है। पहले दिन मा दुर्गा को विराजमान करते हैं ,प्रतेक दिन दुर्गा मा की पूजा अर्चना की जाती हैं.

बहुत संख्या में लोग इकट्ठे होकर एक साथ मां दुर्गा की पूजा करते हैं। ओर लोग 9 दिन तक मा दुर्गा के लिए व्रत रखते हैं और देवी दुर्गा को प्रसन्न करते हैं। स्त्रियों द्वारा देवी दुर्गा की मूर्ति को सजाकर प्रसाद, जल, कुमकुम, नारियल, सिंदूर आदि अर्पण किया जाता है ओर रात्रि मै प्रतियोगिताएं आयोजित करते हैं जैसे डांडिया भजन नृत्य आदि।

माता का पांडाल फुलो ओर लाइटो से सजाया जाता है।ओर विशेषकर यह त्यौहार पश्चिम बंगाल मै बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। सप्तमी अष्टमी और नवमी पूजा का विशेष दिन होता है। ओर तीन दोनों तक पूजा करके मां दुर्गा को प्रसन्न करते हैं। ओर नवमी के दिन माता दुर्गा की पूजन के बाद कन्याओं को भोजन कराया जाता है, ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा स्वयं कन्या के रूप में भोजन करने उनके घर आती है।

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दुर्गा पूजा का इतिहास-

मां दुर्गा को हिमाचल और मेनका कि पुत्री माना जाता है। ऐसा कहा जाता है की भगवान शंकर की पत्नी सती के आत्मदाह के बाद देवी दुर्गा प्रकट हुई थी। भगवान राम ने भी रावण से युद्ध करने से पहले मां दुर्गा की पुजा की थी। ओर पुजा के बाद ही उन्हें विजय प्राप्त हुई थी।
ओर मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस से युद्ध किया था, यह युद्ध 10 दिनों तक चला था और 10 दिनों के बाद ही माता ने जीत प्राप्त की थी। कहा जाता है कि 262 साल पहले सन 1757 में प्लासी के युद्ध के बाद पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा की शुरुवात हुई थी। देवी दुर्गा की जीत का सम्मान करने के लिए, हम इस त्योहार को मनाते हैं।

गरबा और डांडिया प्रतियोगिता-

नवरात्रि में डांडिया ओर गरबा खेलना बड़ा ही शुभ्र माना जाता है। लोग चनिया चोली पहनकर धूम धाम से गरबा खेलते हैं।ओर कई ओरते माता के पांडाल में सिंदूर से खेलती हैं। डांडिया खेलने से पहले मां की आरती की जाती हैं।लोग पूरे मन से गरबा खेलते हैं। ओर जगह जगह गरबे की प्रतियोगिताएं रखी जाती है जितने वालो को पुरस्कृत किया जाता है।

मूर्ति विसर्जन-

नौ दिन पुजा के बाद दशमी के दिन देवी दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन समारोह होता है। बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे होकर गाजे बाजे से दुर्गा मां की मूर्ति को पास के नदी या तालाब के किनारे पर ले जाते हैं।यह उत्सव का अंतिम दिन होता है लोग मां दुर्गा की विदाई करते समय भाहुक हो जाते हैं। एवं इसके बाद मां दुर्गा का आशीर्वाद लेते हैं। ओर अपने घर लौट जाते हैं।

उपसंहार-

दुर्गा-पूजा बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाई जाती है। देवी दुर्गा को शक्ति की देवी कहा जाता है। इस त्योहार मै लोगो को आदर्श,सत्यता और नैतिकता की शिक्षा मिलती है। इस त्योहार मै हमे यह शिक्षा मिलती है की बुराई कितनी बड़ी क्यों नहीं हो अच्छाई हमेशा विजयी होती हैं। इसलिए हमें हमेशा सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए

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