Fal Shabd Roop संस्कृत में शब्द रुपाणी में नपुसंक लिंग में शब्द का अकारांत जैसे फल और इसी तरह के सभी नपुंसक लिंग में अकारांत शब्द की विभक्ति ओं सेम समान तरह से चलती है और आप लोग जानते ही हैं कि हमें इसके लिए साथ विभक्त किया दी जाती है।
प्रथमा, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थी, पंचमी, षष्टि, सप्तमी, और संबोधन जिसका उपयोग संबोधन के लिए किया जाता है और इसमें भी हमेशा की तरह तीन वचन होते है एक वचन द्विवचन और बहुवचन होते हैं जैसा कि हमने पहले अस्मद् शब्द में पढ़ा था|
Fal Shabd Roop – फल शब्द रूप
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथमा | फलम् | फले | फलानि |
द्वितीया | फलम् | फले | फलानि |
तृतीया | फलेन | फलाभ्याम् | फलै: |
चतुर्थी | फलाय | फलाभ्याम् | फलेभ्य: |
पंचमी | फलात् | फलाभ्याम् | फलेभ्य: |
षष्ठी | फलस्य | फलयो: | फलानाम् |
सप्तमी | फले | फलयो: | फलेषु |
संबोधन | हे फलम् | हे फले | हे फलानि |
इसी प्रकार एक विद्यार्थी को संस्कृत भाषा समझ नहीं लिखने और पढ़ने के लिए इन phalam shabd roop शब्दों को मुंह पर याद करना जरूरी होता है क्योंकि इसके बिना संस्कृत व्याकरण का सही उपयोग करके संस्कृत बोलना लिखना असंभव है|
जिस तरह हिंदी की व्याकरण का उपयोग करके हम हिंदी भाषा का उच्चारण करते हैं उसी प्रकार संस्कृत भाषा के उच्चारण के लिए हमें इन शब्दों और संस्कृत व्याकरण कब पूर्ण ज्ञान होना आवश्यक इसके लिए आप हमारे अन्य पोस्ट को पढ़कर अन्य शब्दों की जानकारी ले सकते हैं और संस्कृत बोलना लिखना सीख सकते हैं|
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