Hindi Poem on Betiyan: दोस्तों आज हमने बेटियों पर कुछ कविताए लिखी है. इन कविताओं के माध्यम से हमने बेटियों की व्यथा का वर्णन किया है की समाज में उनके साथ कैसा बर्ताव किया जाता है जो मान सम्मान बेटो को मिलता है वो सम्मान बेटियों को क्यों नहीं मिलता है |
बेटियों का जन्म होना तो ऐसा माना जाता है जैसे की कोई गुन्हा हो गया है | Betiyan तो आने वाला सुनहरा कल होती है, उनकी हमेशा इज्जत करनी चाहिए। आज पुरुष प्रधान सामंज होने के बावजूद बेटीया बेटो से कदम से कदम मिला कर चल रही है और उनसे बहेतर काम कर रही है | इसलिए हमने beti par kavita लिखी है।
Contents
बेटी पर कविता– Beti Par Kavita (Poem)
साहसी बेटियों पर कविता
ये भार नहीं सर का ताज है बेटियां
कड़कती ठंढ में सुहानी धुप का अहसाह है बेटियां
ये जब भी हस्ती है आसमान खिल सा जाता है
मानो खोई चीज मिलने पर सुखु सा मिल जाता है
देश का नाम शिखर पर पहुँचाती है बेटियां
ये भार नहीं सर का ताज है बेटिया।
जिमेदारियो का एक मूर्ति है बेटियां
खुद बनाकर भी अंत में खाती है बेटियां
दुसरो से पहले खाती नहीं है
इसलिए ही अनपूर्णा कहलाती है बेटियां
अभिशाप नहीं वरदान है बेटियां
ये भार नहीं सर का ताज है बेटिया।
बेटी का बहु का माँ का
एक एक रिश्ते को पवित्रता से निभाती है बेटियां
हर दुःख को हस्ते हस्ते सह जाती है बेटियां
उस घोर समुंद्र में इस कदर बह जाती है बेटियां
मगर यह सच है किसी को बताती नहीं बेटियां
ये भार नहीं सर का ताज है बेटिया।
Poem on beti bachao
कलियों को खिल जाने दो
मीठी खुशबू फैलाने दो
बंद करो उनकी हत्या,
अब जीवन ज्योत जलाने दो।
कालिया जो तोड़ी तुमने
तो फूल कहा से लाओगे?
बेटी की हत्या करके तुम,
बहू कहा से लाओगे।
मा धरती पर आने दो
उनको भी लहराने दो
बंद करो उनकी हत्या
अब जीवन ज्योत जलाने दो
मा दुर्गा की पूजा करके
भक्त बड़े कहलाते हो
कहा गई वह भक्ति
जो बैठी को मार गिराते हो
लक्ष्मी को जीवन पाने दो
घर आंगन महकाने दो
बंद करो उनकी हत्या
अब जीवन ज्योत जलाने दो।
बंद करो उनकी हत्या
अब जीवन ज्योत जलाने दो।
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Best and New Hindi Poem on Betiyan
माता पिता की राज दुलारी होती हैं बेटियां
फिर ना जाने क्यों पराई होती हैं बेटियां
दुर्गा सरस्वती का रूप कहलाती हैं बेटियां
झिलमिल सितारों सा घर आंगन सजाती हैं बेटियां।
चिड़ियों सी खिल खिलाती है बेटियां
मन की उदासी को दूर कर खुशियां बाटती है बेटियां
आंगन में तुलसी के पौधे सी होती हैं बेटियां
गंगाजल की जैसी पवित्र होती हैं बेटियां ।
साहस और विश्वास से अंतरिक्ष तक पहुंची है बेटियां
अब तो वायुयान भी उड़ा लेती हैं बेटियां
नामुमकिन जैसा कोई काम नहीं है सब कर जाती हैं बेटियां
हर कठिनाई हर परिस्थिति में अपना कर्तव्य निभाती हैं बेटियां।
बेटी होकर बेटे का फ़र्ज़ आदा करती हैं बेटियां
फिर ना जाने क्यों परछाई होती हैं बेटियां।
बेटी पर कविता
जब जब जन्म लेती है बेटी,
खुशिया साथ लाती है बेटी |
ईस्वर की सौगात है बेटी,
सुबह की पहली सौगात है बेटी|
तारो की शीतल छाया है बेटी ,
आँगन की पहली पुकार है बेटी |
त्याग और समर्पण है बेटी,
नए नए रिश्ते बनती है बेटी |
जिस घर जाए उजाला लती है
बेटी बार बार याद आती है बेटी |
बेटी की कीमत उनसे पूछो,
जिनके पास नहींहै बेटी |
बेटियों पर कविता
चिड़ियों के झुंड सी चहचहाती है बेटियां,
पगड़ियों पर नीले पीले आचल उड़ाती है बेटिया।
आंगन की तुलसी बन कर घर को महकाती है बेटियां,
हसी ठिठोली कर सबका मन बहलाती है बेटियां।
पायल की रुनझन सी गुनगुनाती है बेटियां,
पानी सी निर्मल-स्वच्छ नजर आती हैं बेटियां।
क्यों देखते है इन्हे जमाने वाले,
किसी मकान को घर बनाती हैं बेटियां।
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Beti Par Kavita
क्या मायूसी फेली होती हैं
जब घर मै बेटी पैदा होती हैं।
क्यों परो से कुतर, को बोलते है
बेटी, बेटो सी कहा होती हैं।
नादान है जो अभी नहीं समझते,
बेटी, ही मुस्कुराते घर की तस्वीर होती हैं।
मीठे दरिया का ह्रदय लिए,
बेटी, ही बूढ़े मा बाप की तकदीर होती हैं।
दुख पीढ़ा सब हर लेती हैं
दो घर की जीमेदारी उस पर ही होती है।
क्यों करते हो सदा बेटो का ही गुणगान,
सफलता में बेटी की भी भागीदारी होती हैं।
बेजान मकान को घर बनाती है वो,
हर इट मै उसकी भी हिसेदारी होती हैं।
daughter poem in hindi
शाम हो गई है तो घूमने चलो न पापा
चलते चलते थक गई हूँ में कंधे पे बिठाओ न पापा
अँधेरे में मुझे डर लगता है सीने से लगाओ न पापा
मम्मी तो सो गयी है पापा
आप ही लोरी गा कर सुलाओ न पापा
स्कूल की पढ़ाई पूरी हो गई
अब तो मुझे कॉलेज जाने दो न पापा
आपने मुझे पल पोस कर बड़ा किया है
मुझे ऐसे जुदा ना करो पापा
डोली मुझे अब बिठा दिया है तो
अब आशु ना बहाओ पापा
आपकी मुस्कुराहट बहुत अच्छी हैं पापा
तो एक बार मुस्करा दो न पापा
आप तो मेरी हर बात मानते हो तो
एक बात मान जाओ ना पापा
में इस धरती पर बोझ नहीं हूँ
दुनियाँ को ये बात समझाओ न पापा।
poem for daughter in hindi
क्या हूँ मैं, और कौन हूँ , यही सवाल हमेशा करती हूँ मैं,
तुम लड़की हो, लाचार भी , मजबूर, बेचारी हो,
यही जवाब हमेशा सुनती हूँ मैं।।
बड़ी हुई तो , समाज की रस्मों को मेने पहचाना है ,
अपने सवाल का जबाब भी तब मेने खुद पाया
मै लाचार भी नही हूँ , मजबूर भी नहीं हूँ मैं,
और मै एक धधकती चिंगारी हूँ,छेड़ोगे तो जल जाओगें,
दुर्गा और काली में बनजाऊंगी ,
सम्मान हूँ परिवार का माँ-बाप का अभिमान मैं,
औरत के सभी रुपों में से सबसे प्यारा और अच्छा रूप हूँ ,
माँ ने जिसको प्यार से है पाला ,मै बेटी हूँ उस माँ की ,
पृथ्वी की उत्पत्ति का कारण हूँ में ,
रिश्तों को बांधने वाली मजबूत डोर हूँ में ,
जिसने हर मुश्किल में है संभाला मुझे ,
उस पिता की प्यारी बेटी हूँ ।।
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