“History Of Amer Fort In Hindi”
- राजस्थान की शान माना जाता है।
- आमेर का किला राजस्थान के सबसे अच्छे किलो में से एक है।
- इसकी नक्काशी, कलात्मक चित्रण, शीश महल के लिए विश्व प्रसिद्ध है|
- Amer ka ऐतिहासिक किला 1589 ई. में बनना प्रारंभ हुआ था।
- और 1727 ई. में बनकर तैयार हुआ, इसे राजा मानसिंह, मिर्जा जयसिंह, सवाई जयसिंह ने बनवाया था।
- आमेर का किला राजस्थान मै स्थित गुलाबी शहर जयपुर मै वस्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है. आमेर का किला दिल्ली
Contents
प्रस्तावना –
“History Of Amer Fort In Hindi”
- जयपुर राजमार्ग की जंगली पहड़ियो के बीच जयपुर से 11 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
- आमेर का किला हिन्दू कला के लिए प्रसिद्ध हैं।
- किले मै बहुत से दर्शनीय दरवाजे एवं छोटे तालाब बने हुए हैं।
- प्राचीन काल में आमेर अंबावती एवं अमरपुरा के नाम से जाना जाता था.
- और यह कछवाह राजाओं की राजधानी रह चुका है।
- आमरे नगर 4 वर्ग किलमीटर में फैला हुआ है।
- यह शहर तीनों तरफ से अरावली पर्वत की श्रंखला से घिरा हुआ है ।
- किले की सुरक्षा के लिए 12 किलोमीटर लंबी उच्ची और मोटी दीवारें है।
- आमेर महल में जो चित्रकारी की गई है वो भी बहुत सोभनिय है।
- जिसकी चमक आज भी आंखो को चोंधिया देती है।
- किले की परछाई मोता झरने में दिखती हैं यह किला मुगल और हिन्दू वास्तुशैली का नायाब नमूना है।|
- जयपुर क्षेत्र का यह मुख्य पर्यटक स्थल है।
- इस किले के अंदर बने महल अपने आप में बेमिसाल है।
- जो अपनी 200 साल पुरानी एतिहासिक गौरवगाथा प्रस्तुत करते हैं।
- इस किले को लाल पथरो से एवं गलियारे सपेद संगमरमर से बनाए हैं।
- यह किला काफी उचाई पर बनाया गया है इसलिए इस तक पहुंचने के लिए काफी चड़ाई करनी पड़ती हैं|
History of Amer Fort
दिल आराम बाग (Dil Aaram Bagh)
- इस बाग को 18 वी सदी में मराठा ने बनवाया था।
- इस विशाल दुर्ग के अंदर बना यह बाग इस महल की शोभा बड़ता है।
- इस बाग मै दोनों और छतरियां फव्वारे एवं बाग की सुंदरता देखकर कोई भी मग्नमुक्त हो जाता है।
- जल प्रवाह, मध्य में बना है।
- क्यारियां आदि ज्यामितीय तरीके से बनाये गये एवं बाग पेड़ पोधो से घिरा हुआ है।
- यहां का दृश्य अत्यंत रमणीय है।
- इसी वजह से इसका नाम दिल आराम बाग रखा गया है।
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Diwan E Khas (दीवान-ए-खास)
- दीवाने खास किले के भव्य एतिहासिक धरोवर में से एक हैं।
- इसमें राजा दूसरे राजाओं और अपने खास महमनो से मिलते थे।
- इसमें आकर्षक रंगीन कांच और कांच के काम की वजह से ‘शीशमहल के नाम से जाना जाता है।
- इसको बनाने के लिए बेल्जियम से सिसे मंगवाए थे।
- इसके अंदर एक मोमबत्ती जलने पर पूरा शीश महल रोशन हो जाता था।
- शीशमहल के ठीक सामने एक छोटा सा बगीचा है।
- जिसमें राजा अपनी रानियों के साथ विश्राम किया करते थे।
- इस इमारत मै घास के पर्दे लगे थे जिसे पानी मै भिगोकर ठंडा रखा जाता था।
Diwan- A- Aam (दीवान-ए-आम)
- अरावली पर्वतमाला पर स्थित विशाल दुर्ग की पहाड़ियों पर बनी एतिहासिक संरचनाओं में से एक दीवाने आम है।
- इसका निर्माण राजा जयसिंह ने कराया था।
- दीवान ए आम जो की आमेर की आवाम के लिए होता था।
- यहां राजा अपनी जनता की फरियाद सुनते थे।
- और उनका निवारण करते थे।
- दीवान ए आम 27 स्तंभ से बनाया गया है।
- इन स्तंभ में बेहद ही आकर्षक चित्रकारी हो रखी है। इन पिल्लरो को 2 प्रकार के पत्थर से बनाया गया है
Shila Devi Temple (शिला माता मंदिर)
- किले में एक प्रसिद्ध शिला माता मंदिर है।
- कहा जाता है इस मंदिर की मूर्ति को राजा मान सिंह बंगाल से लेकर आए थे।
- और यहां उसकी इस्तापना की थी।
- लेकिन कुछ लोगों का यह भी कहना है कि केदार राजा ने हार मानकर जब अपनी पुत्री की शादी मानसिंह से करवाई थी।
- तब उन्हें यह मूर्ति भेट की थी।
- मंदिर को संगमर के पत्थर से बनाया गया है।
- किले के परिसर में बना यह मंदिर हजारों श्रद्धालुओं का आस्था का केंद्र है।
- कहा जाता है कि यहां सच्चे दिल से कोई भी मन्नत मांगता है तो वह जरूर पूरी होती हैं। माना जाता है की शिला माता आमेर किले कि रक्षक है
Ganesh Pol (गणेश पोल)
- आमेर का किला में प्रवेश करने पर को पहला गेट आता है।
- उसे गणेश पोल कहते है।
- 1611-1667 ईसवी में राजा जयसिंह द्वितीय ने इसे बनवाया था।
- यह किले के सात आकर्षक दरवाजों मै से एक है।
- ऐसा कहा जाता है कि जब भी कोई राजा युद्ध मै विजयी होकर आते थे।
- तो किले के इसी मुख्य द्वार से प्रवेश करते थे।
- और रानिया उन पर पुस्प की वर्षा करती थी।
- इस द्वार को बेहद ही आकर्षक तरीके से सुसज्जित किया गया है।
- एवं द्वार के उपर के हिस्से में भगवान गणपति की मूर्ति विराजमान है।
- जिसकी वजह से इसे गणेश पोल कहते है।हाँ, यह सही है, यह गणेश पोल था।
- जहाँ से सभी महाराजा आमेर किले के बारीक गढ़े गए महलों तक पहुँचते थे।
- दर्शनीय स्थलों की यात्रा आपको आश्चर्यचकित करती है।
- कि शीर्ष स्तर पर छोटी खिड़कियां क्यों हैं ?
- जिन्हें इस त्रि-स्तरीय संरचना के सुहाग मंदिर के रूप में भी जाना जाता है।
- जाहिर तौर पर खिड़कियां शाही परिवार की महिलाओं के लिए दूरबीन थीं।
- क्योंकि वे एक शानदार दृश्य प्राप्त कर सकते थे।
- दीवान-ए-आम में होने वाली घटनाएँ। हम शुरू से ही जानते थे।
- कि यह अद्भुत किला हमें झकझोर कर रख देगा।
- और अगर आमेर किले के बारे में पढ़कर हमारा दिल पिघल सकता है।
- और हमारा मन जयपुर की यात्रा की योजना बना सकता है।
- तो आप निश्चित रूप से इसके सामने खड़े होने के बाद सुंदरता की एक लहर से प्रभावित होने वाले हैं।
- मुझे नहीं लगता कि आपके वास्तुकला प्रेमी को जयपुर में छुट्टी की योजना बनाने और मुगल वास्तुकला में चित्रित आश्चर्यजनक खुली जगहों की खोज करने से रोकने का कोई कारण नहीं बचा है।
Moon Gate (चाँद पोल दरवाजा)
आम जनता के लिए महल में प्रवेश करने का यह मुख्य दरवाजा है,पश्चिममुखी (चंद्रोदय) होने के कारण इसका नाम चाँद पोल रखा गया. इस आकर्षक पोल के उपर नोबतखना बना हुआ था जिसमें राजाओं का संदेश जनता द्वारा ढोल नगाड़ों द्वारा बजाकर पहुंचाया जाता था। यह बहुत ही आकर्षक दरवाजा है
Jaleb Chowk (जलेब चौक)
किले का प्रवेश द्वार आपको मुख्य प्रांगण जलेब चौक में ले जाएगा। यह वह स्थान है जो शाही सैन्य बल के सैनिकों के लिए प्रमुख सभा क्षेत्र हुआ करता था। यह प्रांगण एक विशाल क्षेत्र को कवर करता है जहाँ सैन्य बलों के लिए कई महत्वपूर्ण परेड और घोषणाएँ हुईं। यहां से आप किले को और देखने के लिए टिकट खरीद सकते हैं। मुख्य महल इस प्रांगण से सीढ़ी चढ़ने के बाद शुरू होता है जो आपको दूसरे प्रांगण तक ले जाएगा।
Magic Flower (जादू का फूल)
जादू का फूल शीश महल के स्तंभों में से एक में बनाया गया एक पुष्प पैटर्न है। इसमें एक ही फूल से सात अलग-अलग डिज़ाइन चित्रण होने की एक बहुत ही अनूठी विशेषता है। यह कमल, एक मछली की पूंछ, हुड वाले कोबरा, हाथी की सूंड, शेर की पूंछ, एक बिच्छू और मकई के एक सिल के डिजाइन को हर बार दोनों हाथों से आंशिक रूप से कवर करता है। जादू का फूल उन दुर्लभ चीजों में से एक है जो आप ऐसे किलों और महलों में जाते समय देखते हैं।
Sukh Niwas (सुख निवास)
सुख निवास वह स्थान था जहाँ शासक आराम करते थे और अपनी महिलाओं के साथ समय बिताते थे। इसे अलंकृत नक्काशी से भी खूबसूरती से सजाया गया है। वहाँ एक चैनल है जहाँ से पानी की एक पाइप आपूर्ति बगीचे में बहती है जिससे सुख निवास के भीतर का वातावरण ठंडा और हवादार रहता है। वातानुकूलित क्वार्टर के भीतर पर्यावरण को बनाए रखने के लिए यह एक प्राचीन तकनीक हुआ करती थी।
किले से ईथर केसर क्यारी को देखें जिस तरह से रानियों ने किया था
अगर हम आकाश की सुंदरता और केसर क्यारी को तौलें, तो यह केसर बाग जीत सकता है। दिन में एक दृश्य उपचार और रात में एक असाधारण, यह मुगल शैली का बगीचा माओता झील में एक मानव निर्मित द्वीप पर बनाया गया है और इसे आमेर किले के ऊपर से देखा जा सकता है। प्रसिद्ध लैंडस्केप आर्किटेक्ट टॉम टर्नर के अनुसार यह माना जाता है कि 1600 महिलाओं को सीधे हरम से बगीचों तक ले जाने के लिए एक चरखी प्रणाली थी, जिसके लिए इसे बनाया गया था, शायद बीच में पुरुष बातचीत से बचने के लिए।
आमेर के किले से जुड़े रोचक तथ्य – Amer Fort Facts
- इस प्रसिद्ध किले को 16 वीं सताब्दी में राजा मानसिंह द्वारा बनाया था।
- आमेर के किले को अम्बर के किले के रूप में भी जाना जाता है।
- यह किला यूनेस्को की विश्व धरोवरमें शामिल हैं।
- यह किला हिन्दू और मुगल आर्किटेक्च का बेजोड़ नमूना है।
- एवं राजपरिवार के रहने के लिए खास आमेर पलेस बनाया गया है।
- आमेर के किले के उपरी पहाड़ी पर जयगढ़ किला भी बना हुआ है।
- इस किले को जयसिंह ने बनवाया था।
- इन दोनों किलो को जोड़ने के लिए एक सुरंग है।
- उस सुरंग का उपयोग युद्ध के समय राज परिवार के सदस्यों को एक महल से दूसरे महल तक ले जाने के लिए किया जाता था।
- किले में बॉलीवुड एवं हॉलीवुड की कई सुपरहिट फिल्मों की भी शूटिंग की जा चुकी है।
- जिसमें बॉलीवुड फिल्म शुद्ध देसी रोमांस, जोधा अकबर मुगले आजम, भूल भुलैया, बाजीराव मस्तानी, आदि शामिल हैं।
- किले में ही बहुत सुंदर बाजार भी लगता है।
- जिसमें हस्तशिल्प से निर्मित वस्तुएं , रंगबिरंगी मामले पत्थर आदि सामन मिलते हैं।
- 2010 के आंकड़ों के अनुसार उस साल करीब 20 लाख पर्यटक उसकी खूबसूरती देखने आए थे।
आमेर किला घूमने का सबसे अच्छा समय
- इस ऐतिहासिक किले की यात्रा का सबसे अच्छा समय सर्दियों के मौसम के दौरान होता है।
- जो अक्टूबर और फरवरी के बीच आता है।
- मानसून के दौरान मध्य जुलाई से सितंबर के दौरान मौसम भी अच्छा और सहने योग्य होता है।
- मार्च और जून के बीच पड़ने वाले गर्मी के मौसम से बचना चाहिए ,
- क्योंकि वे बहुत गर्म और चरम होते हैं।
कैसे पहुंचें आमेर का किला – How To Reach Amer Fort
- यह किला जयपुर से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- आमेर किले तक पहुंचने के लिए आप जयपुर शहर से आसानी से कैब किराए पर ले सकते हैं।
- कैब की कीमत इस बात पर निर्भर करती है कि आप इसे कहां से उठा रहे हैं,
- कम से कम रु. 150. हालांकि, यदि आप जयपुर में हवा महल का दौरा कर रहे हैं।
- तो आप वहां से एक बस पकड़ सकते हैं जो आपको आमेर ले जाएगी केवल रु। 18.
Amber Fort Timing
Amber Place 8AM–5:30PM
For Sound & light show 6:30–9:15PM
Sound and light show Ticket Price – Amber Fort
Light Show in English Rs.200 (Per Person)
Light Show in Hindi Rs.100 (Per Person)
amer kila history in hindi – आमरे के रोचक तथ्य
- आमेर महल को बनने में 157 साल लगे थे।
- और यहाँ की सबसे खास बात है यहाँ का मुख्य दरवाजा जिसका नाम है सिंह पोल।
- आमेर महल की सबसे पहले आता है दीवाने आम जहा राजा लोगो की समस्या का निवारण करता था।
- 1700 ईस्वी में जयसिंह ने आमेर में केसर की खेती करना स्टार्ट किया।
- आमेर महल में 99 टॉयलेट बने हुए है, सारे एक जैसे है।
- शीश महल की खिड़कियो में बैठकर रानिया जंग के बाद राजा का स्वागत करती थी।
अगर आपको हमाराHistory of Amer Fortअच्छा लगा तो
अपने मित्रो और परिवार के लोगो के साथ सैर करना न भूले।
एवं साथ ही कोई सुझाव हो तो कमेंट करके जरूर बताए | धन्यवाद