History of Varanasi’s Temples in Hindi – बनारस के प्रमुख 10 प्राचीन मंदिर के बारे में इस लेख के माध्यम से जानते हैं।प्रिय पाठकों बनारस को वाराणसी तथा काशी के नाम से भी जानते हैं।
इसको बाबा भोले नाथ की नगरी भी कहते हैं। वाराणसी भारत देश के उत्तर प्रदेश की मुख्य नगरी है। ये अत्यधिक प्राचीन नगरी है

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वाराणसी के प्राचीन मंदिरों का इतिहास – History of
Varanasi’s Temples in Hindi
- काशी या बनारस के नाम से प्रसिद्ध वाराणसी शहर दुनिया का सबसे प्राचीन शहर बताया जाता है।
- गंगा नदी के किनारे बड़ा यह जगह अपने संस्कृति, पौराणिक कथाओं, साहित्य और कला के लिए जानी-जाती है।
- इस शहर की उत्पत्ति लगभग हज़ारों वर्ष पहले की बताई जाती है जब भगवान शिव ने माँ भगवती से विवाह किया था।
- और इस पवित्र शहर में रहे थे। इसी लिए इसे प्रभु शिव की नगरी भी खा।
- इसके बाद आर्यों ने शहर में शासन किया और यहां पर रेशम, मलमल, हाथी दांत और इत्र आदि चीजों का व्यापार शुरू किया।
- यह शहर तब विनाशकारी दौर से गुजरा था जब अफगान आक्रमण और मुस्लिम शासन के समय में जिसमें कई मंदिरों का विनाश कर दिया गया था ।
10 प्रमुख प्राचीन मंदिर वाराणसी के- 10 Ancient Temples of Varanasi In Hindi
दशाश्वमेध घाट वाराणसी के प्रमुख प्राचीन मंदिर –Ancient Temples of Varanasi Dashashwamedh Ghat Varanasi

- गंगा नदी पर स्थित मुख्य घाट दशाश्वमेध घाट वाराणसी में स्तिथ है। जो अपनी आध्यात्मिकता के लिए बहुत लोकप्रिय है।
- इस घाट की खास बात यह है कि इस कि यहां पर भगवान ब्रह्मा ने एक यज्ञ किया था, जिसमें उन्होंने 10 घोड़ों की बलि दी थी।
- जिसकी वजह से इसका नाम दशाश्वमेध पड़ा।
- दशाश्वमेध वाराणसी के खास दर्शनीय स्थलों में से एक है जहां पर कई तरह के अनुष्ठान किए जाते हैं। हर शाम को इस घाट पर माँ गंगा की आरती की जाती है।
- जिसमें कई संख्या के लोग उमड़ते हैं। तथा माँ गंगा की आरती का आनंद उठाते हैं।
- यदि आपकी इक्छा है की वाराणसी के प्रमुख मंदिरों के दर्शन की है तो आप दशाश्वमेध घाट जरुर देखने जाए और माँ गंगा की आरती का आनंद लें।
तुलसी मानसा मंदिर – Tulsi Manasa Temple
History of Varanasi’s Temples in Hindi
- वाराणसी के प्रमुख मंदिरों में एक हैं तुलसी मानसा मंदिर।
- यह मंदिर प्रभु श्री राम को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 1964 में करवाया गया था।
- संत कवि तुलसी दास के नाम पर इस मंदिर के नाम का नामकरण किया गया था।
- कई पुराणों के अनुसार माना जाता है कि यह वही जगह है जहां पर श्री राम भक्त तुलसीदास जी ने हिंदी भाषा की अवधी बोली में हिंदू महाकाव्य रामायण लिखी थी।
- इस मंदिर में कठपुतलियों का एक विशेष खेल प्रदर्शन का आयोजन होता है, जिसका संबंध रामायण से होता है।
- अगर आप वाराणसी घूमने का विचार बना रहे हो और कठपुतलियों के खेल का आनंद लेना चाहते हो तो सावन के महीने में जरूर आएं।
काशी विश्वनाथ मंदिर – Kashi Vishwanath Temple
- काशी को शिव जी की नगरी के रूप में भी देखा जाता है।
- यदि आपने इस साल वाराणसी के घूमने का विचार बनाया है तो काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन के बिना वाराणसी घूमना आपके लिए व्यर्ह ही जाएगा।
- वाराणसी के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक काशी विश्वनाथ मंदिर हैं।
- जो भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर में उपस्तिथ शिव की ज्योतिर्लिंग देश के सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
- जिस कारण से पूरी दुनिया में शिव भक्तों के लिए ये मंदिर काफी प्रसिद्ध है।
- इस मंदिर में प्रतिदिन हज़ारों की संख्या में लोग उमड़ पड़ते हैं। पर खास उत्सव जैसे सावन ,शिव रात्रि जैसे महान पर्व पर ये संख्या लाखों तक भी पहुँच जाती है।
- काशी विश्वनाथ मंदिर की लोकप्रिय इसलिए भी अधिककी जाती है क्योंकि इस मंदिर का उल्लेख हिंदुओं के कई पवित्र ग्रंथों में होता है।
दुर्गा मंदिर – Durga Temple
- वाराणसी में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं जिसमे से दुर्गा मंदिर भी काफ़ी प्राचीन एवं प्रमुख मंदिर है।
- दुर्गा मंदिर के साथ -साथ इस मंदिर को बंदर मंदिर भी कहा जाता है।
- इस मंदिर का निर्माण 18 वीं शताब्दी में एक बंगाल की महारानी के द्वारा निर्मित करवाया गया था। जिसको गेरू के लाल रंग में रंगा गया है।
- पुराणों के अनुसार मने तो इस मंदिर की आस्था के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर में विराजित देवी दुर्गा की मूर्ती अपने आप प्रकट हुई थी,
- इसका निर्माण नहीं किया गया था। अगर आप वाराणसी की यात्रा करने जा रहे हैं तो इस मंदिर को भी अपनी लिस्ट में जरुर शामिल करें।
भारत माता मंदिर – Bharat Mata Temple
- बनारस शहर में कई मुख्य मंदिर हैं। जिनमे भारत माता मंदिर भी प्रमुख मंदिर है।
- भारत माता मंदिर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ परिसर में स्तिथ है। इस मंदिर की प्रसिद्धि दूर -दूर तक है।
- जिसके कारणवश इस मंदिर में रोजाना नियमित वाराणसी के तथा दूर -दूर से भी लोग दर्शन के लिए आते हैं।
- यह मंदिर भारत माता को समर्पित है।
संकटा देवी मंदिर– Sankata Devi Mandir
- सिंधिया घाट के पास स्थित संकटा देवी मंदिर पूरे देश में सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है है।
- इस मंदिर को बनारस के सबसे महत्वपूर्ण प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है।
- इस मंदिर की सबसे खास बात ये है की मंदिर के अंदर जैसे ही आप प्रवेश करोगे आपको माता की एक विशाल मूर्ति मिलेगी जो एक शेर के ऊपर विराजित है।
- इस मंदिर में माँ संकटा देवी की पूजा की जाती है।
संकट मोचन मंदिर – Sankat Mochan Mandir
- बनारस में स्थित संकट मोचन मंदिर हमारे प्रभु श्री राम भक्त शक्तिशाली भगवान हनुमान को समर्पित है।
- जब भी कोई भक्त वत्सल बनारस की यात्रा के लिए आता है तो वो अपनी समस्याओं से मुक्ति पाने सरल शब्दों में कहें तो अपने संकटो को नष्ट करने के लिए राम भक्त हनुमान जी के दर्शन करने इस मंदिर में जरुर आता है।
- संकट मोचन का अर्थ होता है हमारे जीवन के सभी संकटों को मिटाने वाला।
- इस मंदिर में जो भी भक्त दर्शन हेतु आते हैं वे हमेशा प्रभु का जाप करते हुए पाए जाते हैं।
ललिता गौरी मंदिर – Lalita Gauri Temple
- बनारस के प्राचीन मंदिरों में ललिता गौरी मंदिर सबसे महत्वपूर्ण मंदिर है।
- यह मंदिर प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर के पास ही मौजूद है।
- यह मंदिर बाबा भोलेनाथ की अर्धांगिनी माँ देवी पार्वती के कई रूपों में से एक रूप देवी अन्नपूर्णा के रूप में समर्पित हैं जो भोजन की देवी के रूप में मानी जाती हैं।
- अगर आप बनारस के प्रमुख मंदिरों के दर्शन करने आये हैं तो ललिता गौरी मंदिर के दर्शन के लिए जरूर जाएँ।
कालभैरव मंदिर – Kaal Bhairav Mandir
- काशी में कई प्राचीन मंदिरों में से एक सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों कालभैरव मंदिर भगवान शिव के सबसे आक्रामक और विनाशकारी रूप में से एक है।
- 17 वीं शताब्दी ईस्वी में इस प्राचीन मंदिर का निर्माण करवाया गया था।
- इस मंदिर की मुख्य विशेषता यह बताई जाती है कि यह अपने भक्तों की सभी समस्याओं को दूर करके सभी मनोकामनाओं को पूर्ण कर देते हैं।
- यदि आप बनारस भ्रमड़ पर निकलने का मन बना रहे हो तो शिव जी के इस मंदिर के दर्शन करने के लिए जरुर आना चाहिए।बाबा भैरव आपके सभी कष्टों को दूर कर देंगे।
वाराणसी का डंडी राज गणेश मंदिर – Dundi Raj Ganesh Temple of Varansi –
- यह मंदिर प्रसिद्ध मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर की गली में स्थित है।डंडी राज गणेश मंदिर वाराणसी के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक गणेश भगवान का मंदिर है।
- भक्तगढ़ काफी अधिक मात्रा में आकर भगवन श्री गणेश के दर्शन के लिए यहाँ उमड़ते हैं।
- जानकारों की माने तो भगवान गणेश ने उनका अपने पिता भगवान शिव का अनुसरण करके वे भी काशी में बस गए थे।
वाराणसी सारनाथ मंदिर – Varanasi Sarnath Mandir
- शहर से 13 किमी की दूरी पर स्थित सारनाथ भारत में प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। इस मंदिर के आस-पास घूमने वाली जगहों में यह एक बेहद खास स्थान है।
- काशी के कई घाटों और गलियों में घूमने के बाद आपको काफी एकांत और शांति की अनुभूति होगी।
- कई जानकारों की मानें तो बोधगया में ज्ञान प्राप्त करने बाद बुध सारनाथ अपने मित्रों की तलाश में वाराणसी आये थे
- सारनाथ मंदिर बौद्ध धर्म का प्रतिक है। इस मंदिर के लोकप्रिय दर्शनीय स्थलों में से प्रमुख स्थल इस प्रकार से हैं- चौखंडी स्तूप, अशोक स्तंभ, धमेख स्तूप, पुरातत्व संग्रहालय, आदि शामिल हैं।
वाराणसी की संस्कृति – Culture Of Varanasi
- इस शहर में जब आप प्रवेश करेंगे तो आपको हर जगह संस्कृतियों का आदान-प्रदान करते हुए देखेंगे।यह शहर शुरू से ही भारतीय सभ्यता का हिस्सा रहा है।
- बता दें कि बनारस एक लंबे समय तक एक बहुत धनी शहर था, जिसके घाट, सार्वजनिक स्थल और पूजा स्थल इसकी भव्यता को दर्शाते हैं। वाराणसी की गंगा आरती–
Ganga Aarti – माँ गंगा की आरती
- शाम को प्रतिदिन वाराणसी के घाट पर माँ गंगा की आरती होती है जो की पर्यटकों तथा तीर्थ यात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
- माँ गंगा की आरती को देखकर यहाँ आये हुए तीर्थ यात्रियों तथा पर्यटकों को अलग ही सुख की अनुभूति होती है।
- यदि आप गंगा के दशाश्वमेध घाट पर जायेंगे तो आप भोर के समय की शानदार आरती का लुफ्त उठा सकते हैं।
- सर्दियों में गंगा आरतीका समय बदलकर शाम को 6 बजे और गर्मियों में बदलकर सुबह 7 बजे शुरू होती है।
- इस आरती के लिए दर्शकों में अलग तरीके का उत्साह देखने को मिलता है। 90 मिनट पहले दर्शन के लिए लोग एकत्रित होने लग जाते हैं।
- इसके साथ ही साथ और भी बहुत सी चीजें होती हैं जो आकर्षण का मुख्य केंद्र होती हैं जैसे की – मंदिर के आस-पास के घरों, दुकानों की छतों और नदी किनारों तैरती हुयी नाओं को भी देख सकते हैं।
- आप सभी पाठकों को इस बात से अवगत करा दें कि माँ गंगा की आरती सात लकड़ी के तख्तों पर होती है।
- जिसमें से एक-एक वस्तु को भगवा वस्त्र और अगरबत्ती, शंख,फूल ,माला , पीतल के दीपक जैसी पूजा सामग्रियों से उस लकड़ी के तख्ते को सजाया जाता है।
- इस आरतीके कई नियम है। जिनमे से एक यह भी नियम है की इस आरती को सात पंडितों द्वारा किया जाता है। जिसमें मंत्रो की लय और प्रार्थनाओं की गूंजहर एक व्यक्ति को सुनाई देती है।
- वाराणसी की सबसे मन को मोह लेने वाली और गौरवशाली माँ गंगा की आरती को हजारों दर्शक देखने के लिए उमड़ते हैं।
- माँ गंगा की आरती का समापन शंख बजाने और कपूर के दीपक जलाने से शुरू होता है।
- यदि आप बनारस दर्शन के लिए इक्छुक हैं तो दशाश्वमेध घाट पर होने वाली आरती का आनंद जरूर उठायें।
अंतिम शब्द –
History of Varanasi’s Temples in Hindi-बनारस के प्रमुख 10 प्राचीन मंदिर एवं उनके प्रसिद्ध घाटों के बारे में इस लेख के माध्यम से जो भी जानकारी मैंने आपको दी आशा करती हूँ।
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