Holi Essay in Hindi दोस्तों आज हनमे होली पर निबंध लिखा है। होली का त्यौहार हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार है। यह त्यौहार असत्य पर सत्य की जीत के तोर पर मनाया जाता है। होली का त्यौहार प्रत्येक वर्ष मार्च में मनाया जाता है और हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस त्यौहार को फाल्गुन मास में मनाया जाता है इस बार होली का त्यौहार यह 28 मार्च 2021 को मनाया जाएगा।
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Best Essay on Holi in Hindi-
प्रस्तावना –
होली भारत का एक प्रमुख त्यौहार है इस त्यौहार को हिन्दू धर्म के लोग बड़ी उत्साह से मानते है। इस दिन को लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए मानते है इस दिन राजा हिरण्यकश्यप की बहन होलिका का दहन हुआ था। इस लये लोग इसे बड़ी धूम धाम से मानते है।
होली के दिन यह भी कहा जाता है की इस दिन दुश्मन भी दोस्त बन जाते है जो लोग एक दूसे से बात नहीं करते वो भी एक दूसरे से गले लग जाते है। होली को मुझ मस्ती का त्यौहार भी कहा जाता है।इस त्यौहार से यही सिखने को मिलता है की हमें कभी ही घमंड नहीं करना चाहिए।
होली का इतिहास –
होली का त्यौहार मानाने के पीछे बहुत ही प्राचीन मान्यता है। पुराने ग्रंथो के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा हुआ करता था. उस राजा कड़ी तपस्या करके भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न कर लिया। जब बगवान ने उसे पूछा की तुझे क्या वरदान चाहिए। तो उसने कहा की में न धरती पर न आकाश में न दिन में न रात में न किसी इंसान के हाथो न किसी जानवर के न ही मुझे भगवान मार सखे न ही राक्षश मार सखे।
हिरण्यकश्यप को जैसे ही भगवान ने वरदान दिया उसका अहंकार बाद गया। वह कुढ़ को ही भगवान समझने लग गया। वह अपनी प्रजा से क्रूरता से बर्ताव करने लग गया वह उनको मारने लग गया और देवताओ पर हत्याचार करने लग गया। हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को अपना दुश्मन मानता था जो भी उसका नाम लेता वह उसको मार डालता। वह सब लोगो से कहता की में ही तुम्हारा भगवान हु।
जैसे जैसे समय बीतता गया हिरण्यकश्यप के घर एक बच्चे ने जन्म लिया उस बच्चे का नाम पहलाद था पहलाद बचपन से ही भगवान् विष्णु का भक्त था। वह हर वक्त भगवान् विष्णु के नाम का ही जाप करता। जब हिरण्यकश्यप को इस बात का पता लगा तो उसने अपने बेटे को खूब समझाया पर वो नहीं माना।
हिरण्यकश्यप ने कई बार अपने बेटे को मरवाने की कोशिश की परन्तु उसे भगवान् विष्णु ने बच्चा लिया। फिर एक दिन अपनी भहन होलिका को अपने पुत्र को मारने के लिए भुलाया। होलिका को यह वरदान प्राप्त था की उसे कोई भी आग नहीं जला सकती इसलिए हिरण्यकश्यप ने उसको कहा की वो पहलाद को लेकर आग में बैठ जाए और पहलाद की मृत्यु हो जाए। जब होलिका पहलाद को लेकर आग में बैठी तब पहलाद भगवान् विष्णु के नाम का जाप करने लग गया भगवान् ने ऐसा चमत्कार किया की होलिका जलकर राख हो गयी और पहलाद को एक खरोच तक नहीं आयी।
उस चमत्कार से पुरे राज्य में ख़ुशी मनाई गयी उस दिन से होली का त्यौहार मनाया जाता है। और तब से लेकर आज तक यह त्यौहार मनाया जा रहा है।
धुलण्डी का दिन –
होली के दूसरे दिन को धुलंडी का दिन कहा जाता है. इस दिन पूरा शहर रंग बिरंगे रंगो से रंग जाता है। इस दिन बच्चे हो या बड़े सब एक दूसरे को रंग लगाते है इस दिन लोग एक दुसरो के घर जाकर रंग लगाकर आते है। और समझ ही नहीं आता की किसका चहरा कोनसा ह।बच्चे अपनी पिचकारी में पानी भरकर आते जाते लोगो पर डालते है। उस दिन कोई बुरा नहीं मानता क्योकि लगो यह नारा लगाते है बूरा ना मानो होली है।
कुछ लोग एक साथ मोहल्लो में एक साथ जाते है और रास्ते में जो भी मिला उसको जबरदस्ती पकड़कर रंग लगा देते है। रंग से होली खेलने के बाद लोग मिलकर पार्टिया आयोजित करते है।लोग अपने सड़को और मोहल्लो में ढोल नागड़े बजाते हुए मौज मस्ती से जाते है और कुछ लोग तो दुलण्ड़ी के दिन बांग भी पीते है।
धुलंडी के दिन कुछ लोग पकके रंग का इस्तेमाल करते है और जान बूझकर एक दूसे को पक्का रंग लगते है। क्योकि यह रंग जल्दी से नहीं निकलता इसकी जहग गुलाल के रंग का ही इस्तेमाल करना चाहिए।पक्के रंग से बहुत सी बीमारिया हो जाती है।
रंगों के अद्भुत त्योहार होली के बारे में कुछ रोचक तथ्य यहां दिए गए हैं
1. होली नाम की उत्पत्ति
होली के त्योहार के नाम का एक दिलचस्प मूल है। यह राक्षस राजा हिरण्यकश्यप की बहन होलिका से लिया गया है, “हिंदू पौराणिक कथाओं से इसके पीछे एक किंवदंती है।
त्योहार से कुछ दिन पहले लोग पार्कों, सामुदायिक केंद्रों, मंदिरों और अन्य खुले स्थानों में अलाव के लिए लकड़ी और दहनशील सामग्री इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं। चिता के ऊपर होलिका का प्रतीक है, जिसने प्रह्लाद को आग में झोंक दिया था।
2. द लीजेंड ऑफ एविल किंग हिरणकश्यप
अब दिलचस्प किंवदंती यह है कि दुष्ट राजा – हिरण्यकश्यप – ने अपने पुत्र प्रह्लाद को हिंदू देवताओं में से एक – भगवान विष्णु की पूजा करने से मना किया था। हालाँकि, प्रह्लाद ने अपने पिता के इनकार के बावजूद विष्णु की पूजा की।
इस प्रकार दानव राजा ने प्रह्लाद को दानव राजा की बहन होलिका (जो आग से मुक्त थी) के साथ एक चिता पर बैठने का आदेश दिया (एक संरचना, जो आमतौर पर लकड़ी से बनी होती है, जो अंतिम संस्कार या निष्पादन के हिस्से के रूप में एक शरीर को जलाने के लिए होती है)।
जब आग लगी, तो होलिका आग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता के बावजूद जलकर मर गई, और चमत्कारिक रूप से प्रह्लाद बच गया क्योंकि प्रह्लाद ने घटना के दौरान भगवान विष्णु की मदद मांगी थी। यह महत्वपूर्ण घटना आज भी होलिका दहन के रूप में दोहराई जाती है। होली के त्योहार के महत्व और रीति-रिवाजों के बारे में आप पढ़ सकते हैं।
3. होली के साथ भगवान कृष्ण का जुड़ाव
होली की उत्पत्ति के बारे में एक और कहानी भी है जिसका भगवान कृष्ण से संबंध है। किंवदंती यह है कि एक बच्चे के रूप में भगवान कृष्ण को पूतना के स्तन के दूध से जहर दिया गया था और इस तरह उन्होंने अपनी त्वचा का विशिष्ट नीला रंग विकसित किया।
कृष्ण अनिश्चित हैं कि क्या गोरी-चमड़ी वाली राधा और अन्य लड़कियां उन्हें पसंद करेंगी, राधा के पास पहुंचीं और उनके चेहरे को कुछ रंगों में रंग दिया।
राधा ने कृष्ण को उनकी त्वचा के नीले रंग के बावजूद स्वीकार किया और उसी दिन से होली का त्योहार मनाया जाता है। हालाँकि, यह होली के बारे में एक कम ज्ञात तथ्य है और होली की उत्पत्ति के लिए कम स्वीकृत संस्करण भी है। लेकिन कहानी को एक किंवदंती के रूप में अच्छी तरह से स्वीकार किया जाता है।
4. दुनिया भर में जश्न
लगभग सभी हिंदू त्योहारों में क्षेत्रीय भिन्नताएं होती हैं। हालाँकि, होली भारत के सभी 28 राज्यों में अपने वास्तविक रूप में मनाया जाने वाला एक राष्ट्रीय त्योहार है।
जबकि होली छठ के साथ सबसे प्राचीन हिंदू धार्मिक त्योहारों में से एक है, यह गैर-हिंदुओं के साथ-साथ दक्षिण एशिया के कई हिस्सों में और साथ ही एशिया के बाहर अन्य समुदायों के लोगों के साथ भी लोकप्रिय हो गया है।
भारत और नेपाल के अलावा, जमैका, सूरीनाम, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, दक्षिण अफ्रीका, मलेशिया, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, मॉरीशस और फिजी जैसे देशों में भारतीय उपमहाद्वीप डायस्पोरा द्वारा त्योहार मनाया जाता है।
5. सभी धर्मों द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार
त्योहार पारंपरिक रूप से गैर-हिंदुओं द्वारा भी मनाया जाता है, जैसे जैन और नेवार बौद्ध (नेपाल)।
होली एक ऐसा त्योहार है जिसका उत्सव इतना उल्लेखनीय है कि आप इसे भारत के हर हिस्से में देखते हैं। हालांकि, त्योहार की एक अनूठी विशेषता सभी धर्मों द्वारा सभी धर्मों के लोगों द्वारा समान उत्साह के साथ इसका उत्सव है।
भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में वास्तव में एक महान दृश्य। यह और अधिक आकर्षक हो जाता है क्योंकि होली एक ऐसा त्योहार है जो उत्सव में इतना असाधारण है कि आप चकित रह जाएंगे।
वर्तमान में होली का रूप –
आज की होली पहले से काफी अलग हो गयी है आज की होली को नशे ने अपने चंगुल में जकड़ लिया है। क्योकि युवा पीढ़ी इसका महत्व भूलती जा रही है।आज कल लोग अपने फ़ोन से मैसेज भेजने को ही होली मनाना कहते है। लोग इस दिन नष्ले पर्दार्थ का सेवन करते है।
कुछ लोग होली के दिन रंग बिरंगे कपडे पहनकर एक दूसरे से लड़ाई झगड़ा करते है अपनी दुश्मनी निकालते है. आजकल की होली नाम मात्र की ही रह गयी है।
निष्कर्ष-
होली का त्यौहार भारत में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के रम में मनाई जाती है।इस उत्सव से हमें यह सिखने को मिलता है की हमें कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए। इस त्यौहार को प्रेम का त्यौहार भी कहा जाता है इस दिन सभी प्रेम का रंग लगाकर घूमते है
होली का त्यौहार हमें अपने परिवार के साथ बड़े ही धूम धाम से मानना चाहिए। इस त्यौहार को त्यौहार जैसे ही रहने देना चाहिए इसको व्यापर का रूप नहीं देना चाहिए
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