Holi Poem In Hindi दोस्तों आज हमने होली पर कविता लिखी है होली को रंगो का त्यौहार कहा जाता है। होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत को याद करने के लिए मनाया जाता है। होली हमारे देश का एक मुख्य त्यौहार है, देश में इसे बड़े प्यार से मनाया जाता है। इसलिए हमने होली के लिए होली पर सर्वश्रेष्ठ कविताएं लिखी है। 2022 में होली शनिवार 19 मार्च को मनाई जायेगी।
Contents
Best Poem On Holi In Hindi
रंगों का त्योहार है होली
खुशियों की बौछार है होली।
लाल गुलाबी पिले देखो
रंग सभी रंगीले देखो।
पिचकारी भर-भर लाते
इक दूजे पर सभी चलाते।
होली पर अब ऐसा हाल
हर हर चेहरे पर आज गुलाल।
आओ यारों इसी बहाने
दुश्मन को भी चले मनाने।
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होली के रंग
मुकुंद रंग रंगा निकुंज
प्रेम रंग रंगी राधा
भक्ति रंग मीरा निकुंज
बंधु-रंग श्याम सखा साधा।
रंग तू भी निज जीवन
रहे ना कुछ अधूरा आधा
में रंग तेरे रंग जाऊ
तू रंग रंग मेरे
भेद भुला प्रश्न जो तुझे – मुझे दूर करे।
एक चुटकी गुलाल में
मिटा देगा मन का मलाल
रंग लागा गुलाबी प्रीत का
जो न अब कभी उतरे।
कुछ रंग नीला रे बरसे
उसमे एक रंग लाल साहस का
ले हरा रंग समृद्धि और विश्वास का
मिला पीला रंग शांति और ज्ञान का
मत भूल रंग केसरी बलिदान का।
रंग भर गेरूआ जीवन में
नए सवेरे नयी आस का
पर हर रंग से पहले…
शुभ धवल रंग सा मन हो
जिस पर जो रंग चढ़े वो पावन हो
जैसे रंग बिरंगी होली अपनी
वैसा ही रंगो से भरा जीवन हो।
वो रंग क्या जो धूल जाए
तन पर लगे मन कोरा ही रह जाए
रंग वो जो न मिटे,
आत्मा जिसमे रंग मिल जाए
रंग रंग हरि रंग का
रंग रंगे हरि नाम का
जो रंग गया भक्ति रंग मे
जीवन तरी तिरती जाए।
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होली पर कविता
रंगो का त्योहार होली
मारो सब मिलकर पिचकारी
लाल गुलाल सबको रंगाए
सबका मन प्रफुल्लित हो जाए
बच्चे खेल खूब रंगों से
मारो पिचकारी दूर से
रंग बिरंगी होली ये
देखो कैसे खेले सब
कोई दूर भागता है
दूसरा पकड़कर लाता है
हसी मजाक का त्योहार ये
रंगो से सजी ये होली
हर गीले सिकवे मिटाता है
जीवन में रंग भरता है
खूब लाला पीले हो जाओ सारे
कुछ देर ही सही हर गम भुलाओ सारे
रंगो की शक्ति की पहचान
सबको याद दिलाओ प्यारे
घर घर का त्योहार है होली
रंगों का त्योहार है होली
रंगों का खजाना है होली
मिलकर मारो सारे पिचकारी।
Hindi Poem On Holi
लाल पीला हरा गुलाबी
चेहरे पर किन रंगो की मेली
मौसम की बहार ने बदली हो जैसे करवट
रंगो ने मौसम में मिश्री सी घोली
होली फिर होली।
बारिश होने से लग रही है
जैसे रंगो की बोली
तरंग धरा पर यु ऐसे खेली
मानो रंगो से भीगी हो चोली
होली फिर होली।
गले मिल रहे है जबसे
रंग चढ़ रहे हो नस नस में
भीगे आँगन में जैसे
बरस रही हो रंगो की गोली
होली फिर होली।
दोस्त दुश्मन सब एक हुए
मिल रही हो उनको जैसे शैली
नए वर्ष का आगाज लेकर
आयी हो जैसे होली
होली फिर होली।
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poem on holi in hindi
बड़ा ये शुभ दिन आया है
रंगो ने अपना जाल फैलाया
दिल में भरकर उमंग सभी ने
दुश्मनो को भी गले लगाया है।
चारो तरफ है खुशियाँ फैली
मानो किसी ने मुरली बजाया है
फिर लगता है कान्हा ने वृंदावन मे
राधा को अपना रंग लगाया है ।।
उत्सव ये बड़ा प्यारा
सबको इसने अपना बनाया
नाराजगी को भी खिलखिला दे
होली की गजब सी
माया है ।।
होता रंग इसमें प्रेम का
मिन्नता अपनापन उल्लास का
जो भी रंग होली के रंगो मे
भलता अपना पल विलाप का।।
अनुभव ये नये अक्सर
हुमे प्रदान कर जाता है
कौन है राजा कौन है रंक
रंगो की चादर मे कहा समझा किसी को आता है ।
बच्चों में उमंग जगाये
युवाओं में प्रेम सन्देश लाये
वथ भी हो व्याक्ति अगर
तो उसमे जीने का विशवास जगाये ॥
मानव को अक्सर इसने
मानवता सिखलाया है
भाईचारे का सही अर्थ है क्या
हमे हर बार बतलाया है ।
Poem on Holi Festivals in Hindi
होली है भाई होली है प्यार भरी रंगोली है
आओ मिलकर साथ चले सबसे जाकर गले लगे
होली है भाई होली है प्यार भरी रंगोली है।
लो अपनी टोली निकली धूम मची है गली गली
पीला हरा गुलाबी लाल, चले हाथ में लिए गुलाल।
सबसे अपनी यारी है रंग बिरंगी पिचकारी है
नाच रहे है खड़े खड़े झूम रहे है बड़े-बड़े
ये सब का त्यौहार है हमको सबसे प्यार है।
होली है भाई होली है प्यार भरी रंगोली है।
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Short Poem On Holi In Hindi
बसंत की शोभा बढ़ाने
देखो बच्चो होली आई
रंगों की बोचार के संग
खुशियों के दिन है लाई
होली आई होली आई
सर्दी में जो ठिठुर रहे थे
खेल रहे हैं पानी में
ठंड को दूर भागने
रूठे अपनो को मानने
होली आई होली आई
दौड़ रहे हैं भाग रहे हैं
सबको एक ही रंग रहे हैं
रंगों की बहार लिए
होली आई होली आई
Happy Holi
Holi Kavita
हरे रंग से रंग रहे है सब गौरी का गाल,
जिसने रंगा तड़प उठा, जो ना रंगा बेहाल ,,
बेठ के माही याद कर रहे एक पुरानी याद,,
जब रंगा था गाल गुलाबी हमने पिछले साल,,
उस होली पर रंगा था जिसने सबसे पहले गाल
वो बैरी अब बदल गया है नही पूछता हाल,,
उसके पिया ने छुआ होगा उसको अबके साल,
उसके हाथ तो झूमे होंगे छु के उसके गाल|
Holi ke Tyohar Par Kavita
एक बार फिर होली आई है,
साथ ढेर सारी यादे लाई है।
याद आती है वो बचपन की होली,
गुब्बारों से जब खेला करते थे।
पिचकारियों में रंग भरा करते थे,
दोस्तों से रंगों पे झगड़ा करते थे।
याद आती है वो ठुमको वाली होली,
नाचते हुए जब झुमा करते थे,
ठहाके के संग जिया करते थे,
अपनों को भी रंग लगवाया करते थे।
याद आती है वो पकवानों वाली होली,
गुजियों की थाली को देखा करते थे,
पेट भर के जब खाया करते थे,
गरीबों को भी खिलाया करते थे।
याद आती है वो बचपन वाली होली,
दिल से जब जिया करते थे।
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