Lipi Kise Kahate Hain– प्रिय पाठकों आपका बहुत – बहुत स्वागत है। आज हम इस लेख के माध्यम से लिपि के बारे में विस्तार से जानेंगे लिपि किसे कहते हैं तथा लिपि के भेद कितने होते हैं ये भी जानेंगे।
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Lipi Kयदि ise Kahate Hain Iske Kitne Bhed Hain – लिपि किसे कहते हैं ? और इसके भेद – 2022
ईशा पूर्व लोग पहले भाषा का प्रयोग तो कर रहे थे ,लेकिन अपनी भाषा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने में असमर्थ थे। इसी नतीजतन लिपि की आवश्यकता हुयी।
इसी लिपि की आवश्यकता को पूर्ण करने के लिए हमारे विशेषज्ञों ने कई और लिपियों का विकास किया इस वजह से हम आज किसी भी भाषा के व्याकरण को हम आसानी से पढ़ सकते हैं।
उदाहरण के रूप में संस्कृत भाषा की यदि लिपि नही होती तो आज के काल में संस्कृत भाषा विलुप्त हो चुकी
लिपि की परिभाषा ( Lipi Ki Paribhasha ) – किसी भी भाषा के लिखने के लिखावट को लिपि कहते हैं। हम दूसरे शब्दों में ये भी कह सकते हैं , कि किसी भी भाषा को लिखने के लिए उपयोग किये जाने वाले निश्चित चिन्हों को लिपि कहते हैं।
कुछ मुख्य भाषाओं की लिपि निम्न प्रकार से हैं –
हिंदी भाषा की लिपि देवनागिरी है जो बाएं से दाएं की ओर लिखी जाती है
हिंदी संस्कृत – देवनागिरी लिपि
अंग्रेजी -रोमन लिपि
उर्दू -फ़ारसी लिपि
पंजाबी – गुरुमुखी लिपि
हमारी मातृभाषा हिंदी की लिपि क्या है ?
हिंदी भाषा की लिपि देवनागिरी है।
लिपि परिवार –
दुनिया भर में विभिन्न प्रकार की भाषा का इस्तमाल किया जाता है। जितने तरह के लोग उनकी उतनी तरह की भाषाएँ हैं। उतने ही विभिन्न प्रकार की लिपियों का भी निर्माण किया गया है ,लेकिन यह सभी हज़ारों तरह की लिपियाँ केवल 3 लिपि परिवार में ही आती हैं। जो की निम्न प्रकार से हैं ,आईये इनके प्रकारों को हम जानते हैं।
(1) चित्र लिपि
(2) ब्राह्मी लिपि
(3) फोनेशियन
चित्र लिपि –
चित्र लिपि ऐसी ऐसी लिपि होती है ,जिसमें लेखन के लिए भाव चित्र का उपयोग किया जाता है। इस लिपि को चित्र लिपि कहते हैं। इस लिपि का इस्तमाल ज्यादा तर रूप से चीन ,जापान और कोरिया जैसे देशों में मुख्य रूप से किया जाता है।
चीनी लिपि – चीनी ,प्राचीन मिस्त्री लिपि – प्राचीन मिस्त्री , कांजी लिपि – जापानी
ब्राह्मी लिपि –
विशेषज्ञों की मानें तो यह हमारे देश की सबसे प्राचीनतम लिपि है। कई पुराण तत्वों से यह ज्ञात हुआ है कि मौर्य काल में महराजा अशोक ने जो स्तम्भ और शिलालेख का निर्माण करवाया था , उस पर ब्राह्मी लिपि का ही प्रयोग किया गया है। इस लिपि को भी देवनागिरी लिपि की तरह ही बाएं से दाएं की तरफ से ही लिखा जाता है।
फोनेशीयन –
यह भी एक प्राचीन लिपि है। प्रमुख रूप से इस लिपि का उपयोग भूमध्य सागर पर स्तिथ एक प्राचीन सभयता में उपयोग किया जाता था। फ़ोनीशियाई वर्णमाला के अंतर्गत सम्प्रति यूरोप ,मध्य एशिया एवं उत्तरी अफ्रीका में प्रयुक्त लिपियाँ मणि जाती थीं।
ऊपर दिए गए प्रकार उनकी सभ्यता स्थान के माध्यम से किये गए थे। प्रिय पाठकों आईये इनकी लेखनी के परिणाम से इनके प्रकारों को जानते हैं।
लिपि के प्रकार –
ध्वनियों को लिखने के लिए जिन -जिन चिन्हों का प्रयोग किया जाता है ,उसीको लिपि कहा जाता है। इन्ही लेखनी के माध्यम से इनके प्रकारों में इनको विभाजित किया जाता है। जो कि निम्न प्रकार से हैं।
(1) चित्र लिपि
चित्र लिपि जैसे कि हम इसके नाम से ही ज्ञात कर सकते हैं कि चित्रों के माध्यम से व्यक्त या लिखी जाने वाली लिपि को ही वहित्र लिपि कहा जाता है। इस लिपि के माध्यम से हम चित्रों के माध्यम से अपने विचारों को बड़ी सरलता पूर्वक व्यक्त करते हैं।
जिसके परिणाम स्वरुप ये लिपि बड़ी ही मनभावन लिपि कहलायी जाती है। इस लिपि का एक – एक चित्र हज़ार अक्छरों के बराबर होता है।
(1) चीनी लिपि : चीनी
(2) प्राचीन मिस्त्री लिपि : प्राचीन मिस्त्री
(3) कांजी लिपि : जापानी
अल्फाबेटिक लिपि -अल्फबेटिक
इस लिपि अल्फबेटिक लिपि से हमें यह ज्ञात होता है कि इस लिपि में स्वर और व्यंजन का उपयोग होता है। इस लिपि स्वर का पूरा रूप व्यंजन लिखा जाता है। इस लिपि के अंतर्गत निम्न प्रकार की लिपियाँ आती हैं।
- यूनानी लिपि : गणित के चिन्ह और यूनानी भाषा।
- अरबी लिपि : अरबी ,कश्मीरी ,उर्दू ,फ़ारसी।
- इब्रानी लिपि : इब्रानी।
- रोमन लिपि : पश्चिम यूरोप की सारी भाषाएं और अंग्रेजी ,फ्रेंच ,जर्मन।
- सिरिलिक लिपि : सोवियत संघ की साडी भाषाएं ,रुसी।
अल्फ़ासिलेविक लिपि –
इस लिपि में भी स्वर तथा व्यंजन का प्रयोग किया जाता है। इस लिपि का नियम अल्फाबेटिक लिपि से थोड़ा सा अलग है। इस लिपि में अधिक एक से ज्यादा व्यंजन होते हैं ,तो उस पर स्वर की मात्रा का चिन्ह लगाया जाता है। और यदि एक भी व्यंजन नहीं होता है तो सीधे स्वर के चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
द्रविड़ लिपि – मलयालम ,तमिल ,कोलंबो , कन्नड़ भाषा।
शारदा लिपि – कश्मीरी ,पंजाबी ,तिब्बती ,लद्दाखी भाषा।
ब्राम्ही लिपि – हिंदी ,गुजरती ,काठमांडू ,मारवाड़ी ,सिंधी ,गढ़वाली भाषा इत्यादि।
मध्य भारत की लिपि – तेलगु भाषा।
मंगोलियन लिपि – चीनी ,कोरिया ,जापानी ,दक्षिण पूर्व सोवियत की भाषा।
भारत में पायी जाने वाली 22 प्रकार की भाषाएं एवं उनकी लिपि –
भारत वर्ष में 22 प्रकार की भाषाएं पायी जाती हैं तो जितनी भाषाएं हैं उनकी उतनी प्रकार की लिपि भी हैं। जो कि निम्न प्रकार से हैं –
भाषा का नाम | लिपि का नाम |
हिंदी | देवनागिरी |
सिंधी | देवनागिरी / फ़ारसी |
पंजाबी | गुरुमुखी |
कश्मीरी | फ़ारसी |
गुजराती | गुजरती |
मराठी | देवनागिरी |
उड़िया | उड़िया |
बांग्ला | बांग्ला |
असमिया | असमीया |
उर्दू | फ़ारसी |
तमिल | ब्राह्मी |
तेलुगु | ब्राह्मी |
मलयालम | ब्राह्मी |
कन्नड़ | कन्नड़ / ब्राह्मी |
संस्कृत | देवनागिरी |
नेपाली | देवनागिरी |
संथाली | देवनागिरी |
डोंगरी | देवनागिरी |
मणिपुरी | मणिपुरी |
वोडों | देवनागिरी |
मैथिली | देवनागिरी / मैथिलि |
कोकड़ी | देवनागिरी |
लिपि (लेखन कला )की उत्पत्ती –
यदि हम भारत वर्ष के इतिहास का अध्यन करें तो भारतीय दृश्टिकोण हमेशा आध्यात्मिक तथा भक्ति – भाव से परिपूर्ण रहा है। किसी भी भौतिक कृति को जो थोड़ी भी अदभुत तथा आश्चर्यजनक रही है , तथा जिसमें नवनीकरण रहा है , उस कृति को देवीय कृति ही मन जाता है।
यही कारण वश ग्रन्थ और वेद जो हमारे आदि कल के भी आदि कल से चले आ रहे हैं। उनको अपौरुषेय कहा जाता है , वर्ण व्यवस्था का उद्भव ब्रह्मा से जोड़ा जाता है तथा भारतीय लिपि ब्राह्मी को ब्रह्मा द्वारा निर्मित बताया जाता है।
भारतीय लेखन कला के उत्पत्ति के सम्बन्ध में भारतीय दृष्टिकोण कुछ इसी प्रकार से दिखाई देती है। बादामी से ईसवी सन् 580 का एक प्रस्तर -खंड की प्राप्ति हुयी है , जिस पर ब्रह्म देव की आकृति बानी हुयी है। उनके हाथों में ताड़ – पत्रों का एक समूह भी बना हुआ है। यह स्पष्ट रूप से पुरातात्विक प्रमाण है की प्रभु ब्रह्म देव से ही लेखन -कला की पुनरावृत्ति हुयी थी।
अंतिम शब्द –
प्रिय पाठकों आज हम आपके समक्छ Lipi Kise Kahate Hain – हिंदी व्याकरण का लेख विस्तार रूप से प्रस्तुत किये हैं। आपको हमारा ये लेख कैसा लगा हमें कॉमेंट के माध्यम से जरूर बताएं ,
तथा आपके भीतर यदि इससे सम्बंधित कोई जिज्ञासा हो तो वो भी आप कॉमेंट के माध्यम से अवश्य पूछें , हमें पूरी आशा है कि आपको मेरा ये लेख अवश्य पसंद आया होगा तो इसको अपने मित्र गण में अवश्य शेयर करें।
सर /मैम
मैं भी एक लेखक ही हूँ, और पेशा से एक मेडिकल स्टूडेंट हूँ।
एक लेखक है shilpi pandey उनके नाम से एक निबंध पब्लिश हुई थीं। जिसका शीर्षक डॉक्टर था।
मैंने उसे पढ़ा, क्या लिखी है! माशाल्लाह
एकदम मुझे ऐसा लगा कि, मैं अपनी एक आत्म कथा पढ़ रहा हूँ, कैसे एक डॉक्टर बने से लेकर कैसे एक डॉक्टर को होना चाहिए तक का सफ़र जो लेखिका ने लिख रखी है, ऐसा मानो वो खुद इस चीजों से वाकिफ़ हो। मैंने उन्हें एक लेखक के तौर पे ना पढ़ ब्लकि पढ़ते वक्त एक डॉक्टर समझ रहा था।
आज उन्होंने एक और लेख लिखी है, जिसका शीर्षक पर्यावरण है!
सच मुच एक पर्यावरणविद भी ऐसा नहीं लिख सकता जैसे इन्होंने लिख रखी है!
अगर इस पेज /ब्लॉग को एक नए content writer की ज़रूरत हो तो संपर्क कीजिएगा
आपसे उम्मीद करते हैं कि आप मेरी बात उनके पास पहुंचा देंगे।
मैं आपका आभार व्यक्त करूँगा!
धन्यवाद आभार सहित…. 🙏🏻🙏🏻
thanx sr
Remarkable… Renewable… Acknowleble…. big masteralike… 🙏💐
आपके इन अमूल्य शब्दों के लिए बहुत बहुत धन्यवाद