आज की चर्चा का विषय Mahadevi Verma Biography in Hindi है महादेवी वर्मा जी हिंदी साहित्य की एक महान कवियत्री रहने के साथ सुविख्यात लेखिका थी उन्होंने हिंदी साहित्य के छायावाद युग के प्रथम चार प्रमुख स्तंभों में से एक माना जाता है और एक महान कवी मुंशी प्रेमचंद भी है महादेवी वर्मा जी हिंदी साहित्य जगत में एक बेहतरीन लेखिका के रूप में जानी पहचानी गई थी महादेवी वर्मा जी एक विलक्षण प्रतिमा वाली कवियत्री रही है |
इसके अलावा उन्हें आधुनिक युग की मीरा भी बोला जाता था क्योंकि उन्होंने अपनी कविताओं में एक प्रेमी से दूर होने का कष्ट और मेरे और पीड़ा अपने भावात्मक रूप से उन्होंने इस कविताओं में लिखा और इस कविता से वह एक मशहूर कवियत्री हो गई थी उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण के पर विशेष जोर दिया था महिला शिक्षा पर काफी बढ़ावा दिया वे चाहती थी कि जिस प्रकार में पड़ी है वैसे ही और महिलाओं को पढ़ाई प्रदान हो और समाज में उनका अधिकार दिलवाने और उचित सम्मान दिलाने में महत्वपूर्ण क्रांतिकारी रही है
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महादेवी वर्मा जी का परिचय (Mahadevi Verma Biography in Hindi)
पूरा नाम (Name) | महादेवी वर्मा |
जन्म (Birthday) | 26 मार्च, 1907, फ़र्रुख़ाबाद, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु (Death) | 11 सितम्बर, 1987, प्रयाग, उत्तर प्रदेश (80 साल) |
पिता (Father Name) | श्री गोविन्द प्रसाद वर्मा |
माता (Mother Name) | हेमरानी देवी |
पति का नाम (Husband Name) | डॉ. रुपनारायण वर्मा |
शिक्षा (Education) | एम.ए.(संस्कृत) |
प्रसिद्ध रचनाएं (Books) |
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महादेवी वर्मा जी का जन्म एवं शुरुआती जीवन (Mahadevi Verma Biography in Hindi)
हिन्दी साहित्य की महान कवियित्री महादेवी वर्मा जी 26 मार्च, साल 1907 में उतर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के परिवार में जन्म हुआ , उस परिवार में बहुत सालो तक कोई लड़की पैदा नहीं हुए थी ऐसी कारण उन्हें भट्ट लाड प्यार से पाला पोषा और अच्छे तरीके से उनका पालनपोषण किया
महादेवी वर्मा अपने भाई बहनों में सबसे बड़ी थी और उनके पिताजी गोविंद प्रसाद वर्मा जी एक जाने-माने अध्यापक और वकालत भी कर चुके थे और उनकी माता हेम रानी देवी जी अध्यापक थी जो कि ईश्वर की प्रार्थना में हमेशा लीन रहती थी और ग्रंथों और पुराणों में उनकी हम बहुत ही ज्यादा रुचि थी वह ग्रंथ और पुराणों को हमेशा ध्यान से पढ़ा करती थी
महादेवी वर्मा जी की पढ़ाई-लिखाई – Mahadevi Verma Education
महादेवी वर्मा जी के माता-पिता एक अध्यापक थे जिसके कारण उनके घर पर ही उन्हें अंग्रेजी संगीत और संस्कृति की शिक्षा दे दी गई साल 1912 में महादेवी वर्मा जी ने इंदौर में मिशन स्कूल से अपनी शुरुआत की पढ़ाई शुरू की और इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद में प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन ले लिया और आपको बता दूं कि उनको बचपन से ही लिखने का बेहद शौक था और महज 7 साल की उम्र में उन्होंने कबो सारी कविताएं लिखने शुरू कर दी
वही जब 1925 में महादेवी वर्मा जी ने अपनी मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली तब उन्होंने कविताओं के चर्चे पूरे देश में होने लग गए देश में प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं में उनकी कविताएं छपने लगी थी महादेवी वर्मा जी की लोकप्रियता एक प्रसिद्ध कवियत्री के रूप में चारों तरफ पूरे देश में फैल गई थी
1932 ईसवी में सुविख्यात लेखिका महादेवी जी ने उच्च शिक्षा ग्रहण करने के मकसद से इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से संस्कृत में एम.ए. की मास्टर डिग्री प्राप्त की । उनकी दो प्रसि्द्ध कृतियां रश्मि और नीहार प्रकाशित हो चुकी थीं। जिन्हें पाठकों द्धारा बेहद पसंद किया गया था।
प्रख्यात लेखिका महादेवी वर्मा जी का वैवाहिक जीवन (Mahadevi Verma Biography in Hindi)
भारत देश के समाज में बाल विवाह की प्रथा बहुत ही पुराने समय से चली आ रही है इस वजह से महादेवी वर्मा जी के विद्यार्थी जीवन में ही 1916 ईस्वी में उनकी शादी डॉक्टर स्वरूप नारायण वर्मा जी से कर दी गई थी हालांकि महादेवी वर्मा जी ने शादी के बाद अपनी पढ़ाई इलाहाबाद में एक हॉस्टल में करि थी जबकि उनके प्रति उनके पति स्वरूप नारायण जी लखनऊ मेडिकल कॉलेज में बोर्डिंग हाउस में रहते हैं महादेवी वर्मा जी अन्य महिलाओं से थोड़ी अलग थी उन्हें सिर्फ जीवन के साहित्य से ही प्रेम था प्रेम संबंध और विवाहित बंधनों में उनकी कोई रुचि नहीं थी जबकि उनके पति उनके साथ अच्छे रिश्ते थे
ऐसा बोला जाता है कि महादेवी वर्मा जी ने उनके पति से दूसरी बार शादी करने का आग्रह भी किया लेकिन उनके पति दूसरी शादी नहीं करना चाहते थे और उन्होंने दूसरी शादी नहीं की हालांकि उनके पति की मौत के बाद महादेवी वर्मा जी प्रयागराज इलाहाबाद में ही बस बसी गई और उन्होंने अपना पूरा जीवन इलाहाबाद में ही व्यतीत कर दिया था
महादेवी जी की प्रमुख रचनाएं (Mahadevi Verma Ki Rachnaye)
- संस्मरण – मेरा परिवार (1972), पथ के साथी (1956).
- निबंध – संकल्पिता (1969), श्रंखला की कड़ियाँ (1942).
- रेखाचित्र – अतीत के चलचित्र (1941) और स्मृति की रेखाएं (1943).
- ललित निबंध – क्षणदा (1956)(Mahadevi Verma Biography in Hindi)
- प्रसिद्ध कहानियाँ – गिल्लू
- संस्मरण, रेखाचित्र और निबंधों का संग्रह – हिमालय (1963)
महान कवियित्री महादेवी वर्मा जी का कविता संग्रह – Mahadevi Verma Poems
- दीपशिखा (1942)
- नीहार (1930)
- प्रथम आयाम (1974)
- अग्निरेखा (1990)
- नीरजा (1934)
- रश्मि (1931)
- सांध्यगीत (1936)
- सप्तपर्णा (अनूदित-1959)
महादेवी वर्मा जी को सम्मान और पुरस्कार (Mahadevi Verma Awards)
- महादेवी वर्मा जी को साल 1988 में मरणोपरांत भारत सरकार ने पदम विभूषण की उपाधि से नवाजा था।
- महादेवी वर्मा जी को साल 1982 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया ।
- साल 1956 में हिन्दी साहित्य की महान लेखिका महादेवी वर्मा जी को पद्म भूषण से सम्मानीत किया ।
- साल 1979 में महादेवी वर्मा को साहित्य अकादेमी फेल्लोशिप से नवाजा गया, वे साहित्य अकादमी की फेलो बनने वाली पहली महिला बनीं।
और महादेवी वर्मा जी को साल 1934 में सेकसरिया पुरस्कार, 1942 में द्विवेदी पदक, 1943 भारत भारती पुरस्कार, 1943 में ही मंगला प्रसाद पुरस्कार से भी नवाजा गया था।
महादेवी वर्मा जी की मृत्यु (Mahadevi Verma Death)
महादेवी जी के अद्भुत व्यक्तित्व और उनकी विलक्षण प्रतिभा को देखकर कई महान रचनाकार और लेखक प्रभावित हुए और उन्हें ‘साहित्य साम्राज्ञी’, समेत अलग-अलग नामों की संज्ञा देकर उनकी महानता का बखान किया। महादेवी जी का साहित्य और भाषा के विकास में योगदान हमेशा याद रहेगा। वे 11 सितंबर साल 1987 में यह दुनिया छोड़कर चल बसीं।
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