Mothers Day Poem in Hindi दोस्तों आज हमने मदर्स डे परमाँ पर कविता लिखी है. माँ जब भी किसी बच्चे को जन्म देती है तो पहला अक्सर वह माँ पुकारता है.माँ दया और इंसानियत की मूरत होती है माँ से ज्यादा इस दुनिया मेंअपने बच्चे को कोई प्यार नहीं कर सकता।
माँ का स्ठान हमारे जीवन में भगवान् से भी ऊचा माना गया है. दोस्तों माँ को शब्दों के माध्यम से बया नहीं किया जा सकता फिर भी हमने कुछ इन कविताओं के माध्यम से माँ का वर्णन किया है।
Contents
Best Mothers Day Poem in Hindi
माँ तेरा वो स्पर्श भुलाया नही जाता
तेरी उंगलियां पकड़
चलने का को कर्ज चुकाया नहीं जाता.
आया था इस दुनिया से अनजान
छोटा ओर नादान
जाने कब तू बन गई मेरी पहचान
हर दिन तेरी आंचल का साया था
जिन्दगी की इस चिलचिलाती धूप में
बना वो छाया था
में उड़ाता था तेरी उम्मीदों के पंख लिए
हजारों खुशियों के रंग संग लिए
आज भी में तेरी आंखों का तारा हूं
तेरी उजली जमीन का चमकता हुआ सितारा हूं
कहता हूं आज भी तू मेरी पहचान है
मेरे वजूद की सबसे ठोस चट्टान है
मा वो तेरा स्पर्श भुलाया नहीं जाता
तेरी उंगलियां पकड़
चलने का कर्ज चुकाया नहीं जाता। हैप्पी मदरस डे माँ
Maa Par Hindi Me kavita
लोग कहते हैं खुशी बाटने पर ही खुशी मिलती है,
पर हमे तो माँ के डाटने पर भी खुशी मिलती है।
माँ की हर डाट में भी मधुरता नजर आती हैं,
डाट सुनकर भी हस दे हम,तो माँ भी मुस्कुराती है।
माँ वो दर्पण है जिसमे प्रेम और करूणा ही से दिखती हैं
जो चीजें मा से मिल जाए,वो दुनिया में कहीं नहीं मिलती हैं
माँ प्रेम की वो नदी है जो कभी सुकती नहीं है
मै कितना भी रूठ जाऊ को कभी भी रूठती नहीं है।
घरों में माँ ही संस्कारो के बीज बोती है
अगर हम रूठ के सो जाए तो माँ भूकी सोती है
जिस घर में माँ का सम्मान नहीं होता
उस घर का कभी उद्दार नहीं होता।
Mothers Day Poem in Hindi From Son
घुटनों से रेंगते रेंगते,
कब पैरों पर खड़ा हुआ
तेरी ममता की छांव में
जाने कब बड़ा हुआ
काला टीका दूध मलाई
आज भी सब कुछ वैसा है
मैं ही मैं हूं हर जगह
प्यार यह तेरा कैसा है
सीधा साधा भोला भाला
मैं सबसे अच्छा हूं
कितना भी हो जाऊँ बड़ा
मां मैं आज भी तेरा बच्चा हूं
Small Poem on Mother in Hindi
तेरे पैरो के नीचे जन्नत मेरी,
उम्र भर सर पर साया तेरा चाहिए,
प्यारी माँ मुझे तेरे दुआ चाहिए
तेरी आंचल की ठंडी हवा चाहिए।
माँ सूरज की पहली किरण हो तुम
कड़ी धूप में घनी छाँव हो तुम
ममता की जीवित मूरत हो तुम
आँखों से झलकाती प्यार हो तुम
जग में सबसे प्यारी हो तुम
प्यार का बहता सागर हो तुम।
Hindi Poem on Maa
माँ इस शब्द में हमारी दुनिया समाई है,
क्योंकि उनकी दुआओ से ही हमने जिंदगी पाई है.
याद है जिसने नो महीनों तक, हमारा बोझ उठाया था.
ओर जब हम दुनिया में आए,
तो दर्द के बाद भी उसका चहरा मुस्कुराया था,
फिर उंगली पकड़कर उसने तुझे चलना सिखाया था.
जब भी धूप आयी, वो बनी तेरा साया.
तुझे चोट लगने पर भी उसे दर्द होता था
नींद कहा आती उसे, जब तक ना तू सोता था.
जब भी तेरी जरूरत उसे हो,पास उसी के तू हो.
अगर निकले आंसू उसके, तो वो आंसू खुशी के हो।
माँ पर कविता
हालातों के आगे जब साथ
न जुबाँ होती है,
पहचान लेती है
खामोशी में हर दर्द
वो सिर्फ “माँ होती है।
माँ तो माँ होती है कविता
माँ तो माँ होती है
माँ तू पास होती है तो पूरी दुनिया साथ होती है,
माँ तू एक है पर तेरे रूप अनेक हैं ,
माँ तू साक्छात देवी का रूप होती है ,
सच कहती हूं माँ तो माँ होती है ,
कितनी भी मुश्किलें खड़ी हों ,
माँ तेरा आँचल छाँव की तरह लगे ,
कितनी भी धूप क्यूं न लगे ,
माँ तू ठंडी हवा सी लगती है ,
सच कहती हूँ मेरे भाई माँ तो माँ होती है ,
माँ दर्द सहती है ,माँ पीड़ा सहती है ,
बच्चे का पूरा जहाँ होती है माँ ,
माँ ईश्वर का वरदान होती है ,
तभी तो कहते हैं माँ – माँ होती है ,
माँ के बिना ईश्वर भी इस संसार की रचना में असमर्थ है ,तभी तो जब प्रभु श्री राम को भी इस धरती पर अवतार लेने की आवश्यकता पड़ी तो इस वजह से उनको भी माता कौशल्या की कोख से ही उनका जन्म हुआ ,आप किसी भी युग का उदाहरण देख सकते हैं कृष्ण की दो -दो माताएं थीं जन्म देने वाली माता देवकी और पालन पोषण करने वाली माता यशोदा। बिन माँ के हम जीवन की कल्पना भी नही कर सकते हैं।
मेरे प्यारे पाठकों इसी विषय पर मैंने चंद पंक्तियाँ लिखी हैं –
माँ न होती इस जहाँ में तो होता क्या ?
सुन्दर होती है दुनिया ये बताता कौन ?
ममता का अहसास करवाता कौन ?
हर दर्द पर मरहम लगाता कौन ?
गिरते हम तो हमें उठाता कौन ?
हमें जीवन के हर लम्हें पर हसाता कौन ?
गलत और सही का पाठ पढ़ाता कौन ?
रिश्तों से मिलवाता कौन ?
ये बाबा , दादी ये चाचा ,चची ये बताता कौन ?
हमें पढ़ना – लिखना ये सिखाता कौन ?
ईश्वर के दर्शन करवाता कौन ?
पापा की मार से बचाता कौन ?
भाई -चारा ये सिखाता कौन ?
परिवार में एक बंधन में रहना ये सिखाता कौन ?
हमें सही रह पर चलना ये सिखाता कौन ?
तो सोचो मेरे भाई माँ न होती इस जहाँ में तो होता क्या ,
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