Naseeb shayari नसीब एक ऐसी चीज मानी जाती है जो की हर काम में एक अहम भूमिका निभाती है। कुछ लोग होते है जिनका नसीब अच्छा होता है तथा कुछ लोग ऐसे भी होते है जिनका नसीब ख़राब होता है। यह सब लोगो के मानने की बाते होती है जबकि असल में ऐसा कुछ भी नहीं होता है। आज हमने भी कुछ नसीब शायरी लिखी है जो की हर व्यक्ति से मेल खाती ही होगी तथा कुछ लोगो से नहीं। कुछ लोगो के प्यार में भी इसका काफी असर पड़ता है जिनके कारण उनका breakup तक हो जाता है।
Contents
नसीब पर शायरी
नसीबो के खेल भी अजीब होते है
प्यार में आशू ही नसीब होते है
कोन होना चाहता है अपनों से जुदा
पर अक्सर बिछड़ते है वो जो करीब होते है।
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मुकाम तो मेहनत की देन है
किसी की किस्मत बदनसीब नहीं होती
और हालातो का कुसूर मत निकाल दोस्त
तरक्की वो भी करते है जिनको रोटी भी नसीब नहीं होती।
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एक कसक दिल में दबी रह गई
जिंदगी में उनकी कमी रह गई
इतनी उल्फत के बाद भी वह मुझे ना मिली
शायद मेरी किस्मत में ही कुछ कमी रह गई।
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नसीब से ज्यादा कीमती दुआ होती है
क्योंकि जिंदगी में सब कुछ बदल जाए
तब इंसान के पास सिर्फ दुआ ही बचती है
नसीब बदलने के लिए।
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अगर यकीन होता की कहने से रुक जाएंगे
तो हम भी है हसकर उनको पुकार लेते
मगर नसीब को यह मंजूर नहीं था
की हम भी दो पल खुशी से गुजार लेते।
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काश मेरा घर तेरे घर के करीब होता
बात करना न सही देखना तू नसीब होता।
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ना जाने में बुरा हु या मेरा
मेरा हर वो शख्स दिल दुखाता है
जिसपे मुझे नाज होता है।
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तकदीर पर शायरी
ना कोई किसी से दूर होता है
ना कोई किसी से करीब होता है,
मोहब्बत खुद चल कर आती है
जब कोई किसी का नसीब होता है
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मिले तो हजारो लोग जिंदगी में यारो
वो सब से अलग था जो क़िस्मत मैं नहीं था
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भगवान प्यार सबको देता है
दिल भी सबको देता है
दिल में बसने वाला भी देता है
पर् दिल को समझने वाला, नसीब वालो को देता है
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सुना है प्यार भी अजीब होता है
खुशी के बदले गम नसीब होते हैं
मेरे दोस्त मोहब्बत ना करना कभी
प्यार करने वाले बड़े बदनसीब होते हैं…
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नसीब के खेल को भी अजीब तरीके से खेला है हमने ।
जो ना था नसीब मैं उसी को टूट कर चाह बैठे …
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शिकायत न करना जमाने से कोई
अगर मान जाता मनाने से कोई
फिर किसी को याद करता न कोई
अगर भूल जाता भूलने से कोई
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अब आँखों को आँखों में सजना होगा
चिराग बुझ गए खुद को जलाना होगा
ना समझना की तुमसे बिछड़के खुश हैं हम
हम लोगो की ख़तीर मुस्कुराना होगा
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मिलना इत्तफाक था
बिछड़ना नसीब था,
वो इतना दूर हो गया
जितना करीब था,
मेरी बस्ती के सारे लोग हे
आतिश पारस,
जलता रहा मेरा घर
या समंदर करीब था !!
खुश नसीब शायरी
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मेरे नसीब मैं तू नहीं शायद
क्यूं खेल ऐसा तकदीर का होता है
लकीरैं नहीं मिलती हैं उनसे
जिनसे ये दिल मिला होता है।
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अगर यकिन होता की कहने से रुक जाएंगे,
तो हम भी हंसकर उनको पुकारते,
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मगर नसीब को ये मंजूर नहीं था,
की हम भी दो पल खुशी से गुजर ले…
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कहने को रोज निकलता है सूरज लेकिन,
मेरे जीवन में क्यूं सदा से अंधेरा है,
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क्या कभी ना छंटेगी ये काली रात मौला,
क्या मेरे नसीब में ना लिखा सवेरा .
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मिलना इतिफाक था बिचारना नसीब था
वो उतना ही दूर हो गया जितना करीब था
हम उसे देखने के लिए तरस्ते ही रहे
जिस शक की हथेली पे हमारा नसीब था
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जैसे जुल्फों की लत है चेहरे के करीब तेरे,
काश हम भी आज तेरे इतने करीब होते,
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तेरे फूलो से चेहरे को हरदम निहारते हम,
काश ऐसी होती किस्मत ऐसे नसीब होते…
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मोहब्बत मुक़द्दर है, एक ख़्वाब नहीं,
ये वो रिस्ता है, जिसमे सब कामयाब नहीं,
जिने साथ मिला, उन्हे उनग्लियों पे जिन लो,
जिन्हे मिली जुदाई, उनका कोई असर नहीं……
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किस्मत दो पल में बदल सकता है इन्सान
प्रति जो इंसान को बादल दे वो किस्मत नहीं होता
अपनी किस्मत पे रोटा वही शक्स हे जिस्को
सजों में रोने की आदत नहीं होती
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इक उमर की जुदाई मेरा नसीब कर के,
वो तो चला गया ही बातें अजीब कर के,
तार्ज़-ए-वफ़ा को उसकी क्या नाम उन में अब,
खुद दूर हो गया ही मुझे को करीब कर के
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मुझसे तुझसे कोई शिक्षा या शिकायत नहीं,
शायद मेरे नसीब में तेरी चाहत नहीं,
मेरी तकदिर लिख कर खुदा भी मुकर गया,
मैने पुचा तो बोला ये मेरी लिखावत नहीं।
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तेरा ना मिलना मेरा नसीब ही सही लेकिन,
ऐ सनम
मेरी किस्मत में लिखा है तुझे टूट के चाहना
नसीब वाली शायरी
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मेरे नसीब मैं तू नहीं शायद
क्यूं खेल ऐसा तकदीर का होता है
लकीरैं नहीं मिलती हैं उनसे
जिन से ये दिल मिला है
दुनिया कहती है
चांद लम्हों का साथ था
ये दिल जनता है
ये उमर भर का एहसास था!!!
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मिलना इतिफाक था बिचारना नसीब था
वो उतना ही दूर हो गया जितना करीब था
हम उसे देखने के लिए तरस्ते ही रहे
जिस शक की हथेली पे हमारा नसीब था
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ऐ खुदा आज ये फैसला करदे
मेरा या मुझे उसका करदे का प्रयोग करें
बहुत दुख साहे ही मैंने
कोई ख़ुशी अब तो मुक़द्दर करदे
बहुत मुश्किल लगता है उससे दूर रहना
जुदाई के सफर को कम करदे
जितना दूर चले गए वो मुझसे
उतना करीब करदे का प्रयोग करें
नहीं लिखा आगर नसीब में उसका नाम
तो खतम कर ये जिंदगी और मुझे फना करदे
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किस्मत दो पल में बदल सकता है इन्सान
प्रति जो इंसान को बादल दे वो किस्मत नहीं होता
अपनी किस्मत पे रोटा वही शक्स हे जिस्को
सजों में रोने की आदत नहीं होती
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किस्मत पे नाज़ करूँ या रब का शुक्र मनौं
क्या उदासी जिंदगी में जो फिर तुझे एक बार पावू है।
तुझसे मिलने की खुशी में ये हाल है मेरा
रूह के पैरहन* को तेरी यादों से महकाऊं।
जब से तूने वादा किया है मिलने का,
वीरान घर को बहार के फूलो से सजौन।
दिल जो हर वक्त रोता था अपनी बेबसी में,
सहमे, ज़ख्मी दिल पे वफ़ा के मरहम लगान।
आज दिल ने भी महसूस किया है जाने तमन्ना,
तेरे नाम के आगे से बेवफाई का दाग मिटाऊं।
उम्मीद की एक चिंगारी जो भेज दी है तूने,
क्यों ना इस अंधेयारे दिल पे मैं भी एक दीप जालौन।
काफ़ी है इतना इंतज़ार “शोएब” बस थोड़ा और सही,
उनकी आँखों से भी पियेंगे अभी आशकों से ही दिल बहलौन
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मोहब्बत मुक़द्दर है, एक ख़्वाब नहीं,
ये वो रिस्ता है, जिसमे सब काम्यब नहीं,
जिने साथ मिला, उन्हे उनग्लियों पे जिन लो,
जिन्हे मिली जुदाई, उनका कोई हिसब नहीं
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क़िस्मत मैं जो लिखा है वो आख़िर होता रहता है
चांद लेकर उल्झी देखें या हाथो मैं क्या रखा है
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मुकद्दर मैं तू नहीं तेरी कोई खबर भी नहीं
दिल तेरी याद से एक पल को भी मगर ग़फ़िल नहीं
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खुद को भुला है तेरी याद मैं हजार बारी
एक पल को भी तुझ को दिल से मगर भुलाया नहीं
naseeb ke upar shayari
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पट्ट झर मैं भी रहा तेरी याद का सावन
मगर एक अश्क भी आंख से बहाया नहीं
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दिल तो क्या हम करते हैं अपनी जान भी कुर्बान
तुम्हारे एक कदम प्यार से आगे भरया ही नहीं
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तुझे मिला नहीं हमसा कोई,
हमें मिला नहीं तुझसा कोई
ये तो किस्मत की बात है,
की हमारी नज़र में कादर बसा नहीं कोई है
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कोई ना मिला तो क़िस्मत से घिला नहीं कार्त
अक्सर लोग मिल केर बी मिला नहीं कार्तिक
हर शाख पर बहार आती ही जरूर
पर हर शाख पर फूल खिला न कृति:
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कुछ किस्मत ही मिली थी ऐसी
के चैन से जीने की सूरत नहीं हुई
जिस चाहा का प्रयोग पा ना सके
जो मिला उसे मोहब्बत ना हुई
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नि सबको शिकायत क्यू है
जो दोस्त नहीं मिल सकता उसी से मोहब्बत क्यों है
कितने खाते हैं रहो पे
फिर भी दिल को उसी की आरजो क्यों है…
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ना कोई किसी से दूर होता है,
ना कोई किसी के करीब होता है,
प्यार खुद चल कर आता है,
जब कोई किसी का नसीब होता है….
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बिछड़ के तुमसे जिंदा हूं..मेरी तकदीर तो देखो
कभी आ कर मेरे हलात की तस्वीर तो देखो
दे कर प्यार की दौलत खरीदे खून के आंसू
मिली जो इश्क में हमको जगीर तो देखो
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लडे रहे तकदीर से पर अखिर हार गए
जिन्को अपना खून पिलाया, वही हमें मार गए
ये कैसी दुनिया है पथरो की ऐ दोस्ती
उनसे दिल लगाके ये हम जान गए..!!
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तकदीर का रंग कितना अजीब है
अंजना रिश्ता है फिर भी करीब है
हर किसी को दोस्त आप जैसा नहीं मिला
मुझे आप मिले ये मेरा नसीब है…
खुश नसीब शायरी
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सपनों की तार तुझे साजा के रखौं
चांदनी रात की नज़रों से चुप के रखों
मेरी तकदीर मेरे साथ नहीं है
वर्ना जिंदगी भर तुझे अपना बना के रखौं
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हम ने भी चाहा हर मंजिल करीब हो
हर वक्त आप का साथ नसीब हो
पर वह खुदा भी क्या करें
जहान इंसान खुद बदनामीब हो
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क़िस्मत रूथ गया,
दिल के तार टूट गए,
आप जो हम कहते हैं रूथ गए,
सपने भी सराय टूट गए,
बाकी रहे खज़ाने मैं दो अनसू,
याद आप की आया तो वो भी लौट गए
नसीब का खेल शायरी
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खुश नसीब वो नहीं जिन्का नसीब अच्छा है ………
खुश नसीब वो है जो अपने नसीब पर खुश है…
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दुनिया का हर शौक पाल नहीं जाता
कांच के खिलाड़ियों को यूं उचला नहीं जटा
मेहंदी करने से मुश्किल हो जाती है आसान
हर काम तकदीर पे डाला नहीं जटा
47
अब के बार फिर ये साल बदला
फिर वक्त का खाद-ओ-खल बदला
इम्तेहान-ए-ज़ीस्ट का सवाल बदला
और अंदाज़ लम्हों का कमाल बदला
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दिल के आईना-खाने की आधी तस्वीर
तकदीर की किताब की वो अधूरी तहरीर
किसी दिल की बस्ती में इक अधूरी जागीर
किस्मत के हाथ पर इक अधूरी लेकर
49
हां मेरे अफसाना-ए-हयात का हर वार अभी अधूरा है
सब सामान-ए-ज़ीस्ट है थोरा सा कुछ भी नहीं पूरा है
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