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Noise Pollution Essay in Hindi
मनुष्य पर्यावरण की उपज होती हैं, अर्थान् मानव जीवन को पर्यावरण की परिस्थितियां व्यापक रूप से प्रभावित करती हैं। पृथ्वी के समस्त प्राणी अपनी बुद्धि व जीवन क्रम को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए ‘सन्तुलित पर्यावरण पर निर्भर रहते हैं।
सन्तुलित पर्यावरण में सभी तत्व एक निश्चित अनुपात में विद्यमान होते हैं, किन्तु जब पर्यावरण में निहित एक या अधिक तत्वों की मात्रा अपने निश्चित अनुपात से बढ़ जाती है, या पर्यावरण में विषैल तत्वों का समावेश हो जाता है तो वह पर्यावरण प्राणियों के जीवन के लिए घातक बन जाता है। पर्यावरण में होने बाले इस घातक परिवर्तन को ही प्रदूषण की संज्ञा दी जाती है।
ध्वनि प्रदुषण एक ऐसा प्रदुषण का रूप है जोकि मानव के जीवन के लिए काफी नुकसान दायक हो सकता है| यह प्रदुषण भारत मै काफी तेज़ी से बढ़ रहा है|
जैसे जैसे भारत मै जनसंख्या बढ़ती जा रही है उतना ही धवनि प्रदुषण बढ़ता जा रहा है| जैसे कोई भी चीज़ ज़ादा मात्रा मै हानिकारक होती है उसी तरह ज़ादा ध्वनि भी इंसान के लिए हानिकारक होती है|
जब ध्वनि की मात्रा एक सीमा से ज़ादा बढ़ जाती है तब वह खतरनाक हो सकती है इसलिए हम जितना शोर को कम रख सके हमे रखना चाहिए | ज़ादा शोर से लोगों और जानवरो को नुक्सान पोंछता है जोकि उनके सेहत के लिए नुकसान दायक
ध्वनि प्रदुषण के कारण
ध्वनि प्रदुषण के कही सारे कारण हो सकते, हर वो चीज़ जो एक सीमा से ज़ादा शोर निकलती है वो प्रदुषण का मूल कारण है| लोग अपने काम आसान बनाने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रहे है, पर टेक्नोलॉजी भी उन लोगो को अलग अलग रूप मै नुक्सान पौछा रही है।
ध्वनि-प्रदूषण के कारण व प्रभाव-आजकल बड़े-बड़े नगरों में ध्वनि-प्रदूषण का होना भी एक गम्भीर समस्या है। यह विशेष रूप से वायु में अणुओं के बीच की दूरी को कम अथवा अधिक होने से पैदा होता है।
यह ध्वनि-प्रदूषण सड़क पर भारी वाहनों के चलने से, रेलों के आवागमन के शोर से, लाऊड स्पीकरों के शोर से, जेटयान और अंतरिक्ष में राकेट के छोड़ने से होता है। जो निरन्तर बढ़ता ही जा रहा है।
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ध्वनि प्रदुषण के नुकसान
यह हमारे कानों के लिए बहुत घातक है। इससे हमें बेचैनी और सिर-पीड़ा होने लगती है। हृदय गति तथा रक्त चाप बढ़ जाते हैं। ध्वनि प्रदूषण से हमारे मस्तिष्क में तनाव बढ़ जाता जिससे हमारी आँखों की रोशनी मंद पड़ जाती है। इससे हमें मृत्यु प्राप्त होने का डर बना रहता है।
महानगरों में अनेक प्रकार के वाहन, लाउडस्पीकर, बाजे एवं औद्योगिक संस्थानों की मशीने के शोर ने ध्वनि प्रदूषण को जन्म दिया है। ध्वनि प्रदूषण से केवल मनुष्य की श्रवणशक्ति के हास होता है, वरन उसके मस्तिष्क पर भी इसका धातक प्रभाव पड़ता है।
परमाणु शक्ति उत्पादन व नाभकीय विखण्डन ने वायु, जल व ध्वनि तीनों प्रदूषणों को काफी विस्तार दे दिया है। इसके घातक परिणाम न केवल वर्तमान प्राणियों को वरन् उसकी भावी पीढ़ियों को भी भुगतने पड़ेगे।
इस प्रकार हम देखते हैं कि आधुनिक युग में प्रदूषण की समस्या अत्यधिक भयंकर रूप धारण करती जा रही है। यदि इस समस्या का निराकरण समय रहते न किया गया, तो एक दिन ऐसा आयेगा, जबकि प्रदूषण की समस्या सम्पूर्ण मानव जाति को निगल जायेगी।
ध्वनि प्रदूषण पर 10 कारण
ये दस पंक्तियाँ प्रतियोगी परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए और भाषण देते समय उपयुक्त हैं।
- ध्वनि प्रदूषण या ध्वनि प्रदूषण शोर के कारण होने वाले खतरनाक और अवांछित स्तर की गड़बड़ी को दर्शाता है।
- 85db से अधिक की ध्वनि को ध्वनि का एक हानिकारक स्तर कहा जाता है, जो समय के साथ, सुनवाई हानि का कारण बन सकता है।
- ध्वनि प्रदूषण उन उद्योगों के कारण होता है जो कम्प्रेसर, जनरेटर, मिल आदि जैसे भारी उपकरणों का उपयोग करते हैं। सड़कों और भवनों का निर्माण भी एक कारक है।
- सड़क यातायात में वृद्धि के कारण अनावश्यक रूप से हॉर्न बजाने के कारण ध्वनि प्रदूषण भी हुआ है।
- खराब शहरी नियोजन कई झगड़ों का कारण बनता है क्योंकि वे समान संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
- त्योहारों के दौरान पटाखों का उपयोग भी ध्वनि प्रदूषण का एक स्रोत है।
- ध्वनि प्रदूषण के कारण श्रवण दोष, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, थकान, नींद की कमी और तनाव बढ़ जाता है। जानवरों के व्यवहार में बदलाव और सुनने की क्षमता में कमी आती है।
- ध्वनि प्रदूषण से बचने के कुछ उपाय ध्वनिरोधी, मूक क्षेत्र स्थापित करना और शोर को रोकने के लिए बनाए गए नियम हैं।
- अन्य में अनावश्यक रूप से हॉर्न बजाने को हतोत्साहित करना, उपयोग में न होने पर उपकरणों को बंद करना और ध्वनि को अवशोषित करते हुए पेड़ लगाना शामिल है।
- अंतर्राष्ट्रीय शोर जागरूकता दिवस हर साल मनाया जाता है, आमतौर पर अप्रैल के आखिरी बुधवार को। यह 29 अप्रैल 2020 को मनाया गया।
ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण
बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए मौलिक कदम उठाए जाने चाहिए
- कारखानों में ध्वनि प्रदूषण मशीनों को कुछ नवीनतम उन्नत तकनीकों वाली मशीनों से बदला जाना चाहिए।
- मशीनों द्वारा उत्पन्न शोर को कम करने के लिए एक इन्सुलेट सामग्री का उपयोग किया जाना चाहिए।
- राजमार्गों, सड़कों और औद्योगिक क्षेत्रों में वृक्षारोपण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए क्योंकि वनस्पति आवरण एक सुरक्षा क्षेत्र के रूप में कार्य करने वाली ध्वनि ऊर्जा को अवशोषित करते हैं।
- औद्योगिक श्रमिकों द्वारा इयर प्लग का उपयोग ध्वनि प्रदूषण के खतरनाक प्रभावों से एक कुशन के रूप में कार्य कर सकता है।
- हवाई यातायात के शोर को या तो उपयुक्त तकनीक से या हवाई अड्डे के आसपास के क्षेत्र को ज़ोन करके कम किया जा सकता है और हवाई अड्डे के 10 मीटर के भीतर घरों या उद्योगों के निर्माण की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
- हॉर्न बजाने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए और वाहनों की गति सीमा निर्धारित की जानी चाहिए।
- पटाखों को जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए और लाउडस्पीकरों और संगीत प्रणालियों के लिए दहलीज की तीव्रता निर्धारित की जानी चाहिए।
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