Poem on Basant Panchami in Hindi

5+ बसंत पंचमी पर कविता – Poem on Basant Panchami in Hindi

Poem on Basant Panchami in Hindi दोस्तो आज हमने बसंत पंचमी पर कविता लिखी है। जिस दिन से बसंत ऋतु आरंभ होती हैं उस दिन को बसंत पंचमी कहते है। सर्दियों के बाद बसंत ऋतू आती है यह मौसम बहुत सुहावना होता है। इस दिन माँ सरस्वती की पूजा करते है.बसंत ऋतु सदैव ही कवियों की प्रिय ऋतु रही है। इस समय तक सूखे पत्ते झड़ जाते हैं और नए पत्ते आने लगते हैं।

Contents

Poem on Basant Panchami in Hindi

Basant Panchami

शीत ऋतु देखो ये
कैसा सुनहरा अंत हुआ

हरियाली का मौसम है आया
अब तो बसंत का आरम्भ हुआ,

आसमान में खेल चल रहा
देखो कितने रंगो का

कितना मनोरम द्रस्य बना है
उड़ती हुई पतंगों का,

महके पीली सरसों खेतो मे
आमो पर बोर है आये

दूर कहीं बागो मै कोयल
कु-कु करके गाये,

चमक रहा सूरज है नभ में
मधुर पवन भी बहती हैं

हर अंत नई शुरुआत है
हमसे ऋतु बसंत है कहती,

नयी- नयी आशाओ ने
आकार मन को छुआ

उड़ गए सारे संशय मन के
उड़ा है जैसे धुंध का धुंआ,

शीत ऋतु का देखो ये
कैसा सुनहरा अंत हुआ

हरियाली का मौसम आया
अब तो आरंभ बसंत हुआ।

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Poetry on Basant Panchami In Hindi 

poem on Panchami in hindi

मन में हरियाली सी आयी
फूलो ने जब गंध उड़ाई

भागी ठंडी देर सवेरे
अब ऋतू बसंत है आयी।

कोयल जाती कुह कुह
भवरे करते है गुंजार

रंग बिरंगी रंगो वाली
तितलियों की मौज बाहर।

बाग़ में चिडियो का शोर
नाच रहा जंगल में मोर

नाचे गए जितना पर
दिल मांगे once More

Basant Panchami Par Kavita

फूलो पर है भोरे छाये
आमो  के भी बोर है आये

करने ऋतुराज का स्वागत
देखो सरसो के खेत लहराए।

हरियाली का मौसम है ये
कहते जिसे वसंत ऋतू

न सर्द है न गर्म है
आया देखो वसंत ऋतू।

नयी फसल है नयी उमंग
सबके मुख पर नयी चमक

नया नया ये मौसम प्यारा
लगता सबके मन को प्यारा

बसंत पंचमी पर कविता 

Basant Panchami poem in hindi

है जीवन का हर पल बसंत
फिर इनमें क्यों ले आते पतझड़,

पल-पल में है खुशियां अनंत
फिर गमो मै है क्यों गए जकड़।

सरसो सा लहराता सुख
यदि चाए हम इसको पाना,

पर कर्म नहीं इसके अनुरूप
तब कहा से हो इसका आना।

खिलखिला के हस्ता है पलाश
बीते पल की दुख व्यथा भूल,

कल में ना करे सुख की तलाश
खुशबू बिखेरे आज का फूल।

चंचल बायार मंजिल की और
बढ़ती आगे दुख स्मृति छोड़,

जीवन का प्रतिफल बना बसंत
हम भी ले सुख आंनद जोढ़

है जीवन का हर पल बसंत
पल-पल में है खुशियां अनंत।

ऋतुओं की रानी है आई
धानी चुनर अपने संघ लाई

जिसे ओढ़ धरती मुस्कुराई
कण कण में उमंग है छाई।

डाल-डाल नव पल्लव आया
जैसे बचपन फिर खिल आया

रंग बिरंगे फूलों पर
देखो भवरा फिर मंडराया।

तितली भी मुस्काती है
बहती हवा बसाती है

नील गगन में उड़ते पंछी
के मन को हरसाती है

रंग बिरंगे फूल खिले हैं
पीले लाल गुलाबी हरे है

कोयल की कुकु के संग
स्वर गीतो के भी बिखरे है।
हैप्पी बसंत पंचमी

Short Poem on Basant Panchami 

आई बसंत
हर जुबा पे छाई यह कहानी,
आई बसंत की ये ऋतु मस्तानी।

दिल को छू जाए मस्त झोका पवन का,
मीठी धूप मै निखर जाए रंग बदन का ।

गाए बुजुर्गो की टोली जुबानी
आई बसंत की ये ऋतु मस्तानी।

झूमे पंछी कोयल गाए
सूरज की किरणे हस्ती जमी लहराए।

लागे दोनों पहर की समा रूहानी,
आई बसंत की ऋतु मस्तानी।

टिमटिमाये खुशी में रातो के तारे
पीली फसलों को नहलाये दूधिया उजाले
आई बसंत की ये ऋतु मस्तानी।

आया बसंत आया बसंत,
ढेरों खुशियां लाया बसंत।

कोयल ने मीठा गाना गया,
मोर ने अपना नाच दिखाया।

पपिहे ने पीहू कि आवाज लगाई,
गुनगुन भवरे ने ताल मिलाई।

आया बसंत आया बसंत,
ढेरों खुशियां लाया बसंत।

Poem On Basant Ritu In Hindi

poem on Panchami in hindi

खिल रही है कोमल कलिया
ऋतु बसंत के आने से

तितलियां भी मुस्कुरा रही है
इस बार के आ जाने से

मौसम हुआ सुहावना
फैलने की हरियाली से

गलियां है महकी-महकी
ऋतु बसंत के आने से

खेत खलियान लगते है सुंदर
पीली-पीली सरसो से

पेड़ पोधे है हरे-भरे
सुंदर-सुंदर कलियों से

हमको भाता यह मौसम है
रंग बिरंगी तितलियों से

लधे हुए है पेड़-पोधे
पत्तों ओर कलियों से

खिल गई है कोमल कलिया
ऋतु बसंत के आने से

हर गलियां मस्का रही है
इस बहार के आने से।

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