Poem On River In Hindi दोस्तों आज हमने इस आर्टिकल में नदियों पर कविता Nadi Par Kavita का संग्रह किया है | नदियाँ हमारे जीवन का अभिह्न अंग है इनके बिना जीना असंभव है हमें नदियों को साफ सुथरा एवं निर्मल रखना चाहिए| नदियों से. हमारे खेतो में फसल उगती है इसलिए हमने nadi par kavita लिखी है।
Contents
नदियों पर कविताए -Poem On River In Hindi
Best Poem on River in Hindi
नदी रे नदी तु
तेरा स्वभाव है निराला
सबके मन को भाती तु
सबकी प्यास बुझाती तू
नदी रे नदी तु
नदी ओ नदी
नदी ओ नदी कहा बढ़ चली
जरा तो ठहर पहर दो पहर
नदी ओ नदी कहा बढ़ चली।
क्यों है इतनी बेसबर
जरा तो थहर पहर दो पहर
कोई फूल-बूटा तो हरित हो सके
कोई जीव जरा तो तप्त हो सके
जानते है तुझे मिलना है सागर से
कुछ जल तो भर ले कोई एक गागर से।
जाके मिलो तुम उस सागर से मतवाली
उसी मै समाकर जीवन गुजार
हम जानते है नदी हो नदी तुम
मिलकर सागर से सागर ही कहलाओ तुम।
Poems on Rivers in Hindi
नदी यहां पर मुड़ती है
फिर चलती ही जाती हैं
चलते चलते सागर को
आखिर में वहा पाती हैं
मिलती लंबी राह उसे
देती हैं सबको पानी
सीच सीच कर खेतो को
फसल वहीं बानाती है
चलती किसी जगह सीधी
टेडी होती कही-कहीं
लहर उटाती जाती हैं
लेकिन थकती कहीं नहीं
कहीं करारो में छिपती
मैदानों मे आती हैं
खेल खेलती लुका-छुपी
बिल्कुल ही खो जाती हैं
बहुत तेज थी पर्वत पर
लेकिन नीचे जब आई
धीमी धीमी चाल हुई
जैसे थककर सुस्ताई
पानी बिखरा तो जाती हैं
हरियाली फैलाती हैं
चाहे जितना पानी पिलो
मन मै बुरा ना लाती है
सागर में मिल जाने पर
फिर बन जाति है सागर
तब तक चलती रहती हैं
रात और दिन धरती पर
Nadi Par Kavita
कोई कहता है इसे नदिया
कोई कहता है इसे दरिया
कितनो को इसने जीवन दिया
कितनो के लिए यह जीने का जरिया।
कहा कहा से भरकर लाती
कहा-कहा को भरकर जाती
कहीं ना रुकती कभी ना थकती
बस लगातार यह चलती जाती।
कभी अगर धूप पड़े तो
हीरे की तरह चमकती लगती
अगर कहीं जो हवा चले तो
हिलकोर मारकर यह लहराने लगती
देख शाम को ऐसा लगता
मानो अपने अंदर सूरज डूबती।
मानव के लिए यह वरदान
मछलियों की है यह जान
सभ्यता की यह पहचान
लोग इसमें करते स्नान।
कोई इससे पकड़ता मछली
कोई इससे बनता बिजली।
कभी झरना बनकर पहाड़ों से गिरती
कभी चट्टानों से टकराकर मुड़ती
स्वयं अपना रास्ता बनाकर
मिलो का सफर तय करती
Short Poem On River
नदी रे नदी तु
बहती चली जाती तु
गाव शहर से गुजरती तु
हर जगह खुशियां फैलाती तु
हर जगह पुजी जाती तु
धरती को पावन करती तु
नदी रे नदी तु।
नदी रे नदी तु
जहां जाती वहा खुशियां फैलाती तु
सबके मन को हर लेती तु
कोई तुझसे है नहाता,
कोई तुजमे कपड़े धोता
फिर भी नाराज ना होती तू
नदी रे नदी तु
Nadi Poem In Hindi
नदी बहती है हर क्षण
बदलती है हर क्षण
बिन बदले हुए।
कभी पहाड़ो से पर्वतों से
गुफाओं से जंगलों से
मैदानों से गुजरते हुए
सागर बन जाती है।
बनते हुए
कभी झरना कभी नाली
कभी झील कभी भाप
कभी बादल कभी सागर
कभी बारिश की बूंदे
कभी पत्तों का खाना
कभी पशुओं कि प्यास।
भिन्न समय में भिन्न स्थान में
भिन्न रूप में भिन्न स्वरूप में
भिन्न होते हुए भी अभिन्न है
River Poems in Hindi
नदी पहाड़ से निकलती है,
मैदानों में बहती है।
और अंत में, सागर से मिलें,
एक कहानी बताता है।
मैं बचपन में छोटा था लेकिन
बड़ी तेजी से बह रही थी।
तूफान तूफान,
बाढ़ – बवंडर,
सब मुस्कुरा रहा था।
मैदानों में आकर, मैं
सेवा के लिए कटिबद्ध।
और मुझे पसंद करो,
मानव पूजा।
अंत समय में क्या बचा है,
सागर को भेंट किया।
अपना सब कुछ देकर,
जीवन को साकार किया।
बच्चे मुझसे शिक्षा लेते हैं,
मेरे जैसे बनें
आपकी सेवा और समर्पण से,
जीवन की महक
अगर हम बस में होते,
नदी ले कर घर लाना।
अपने घर के ठीक सामने,
हम इसे रोज बहाते हैं।
कूदना और कूदना,
हम दोस्तों के साथ नहाते हैं।
कभी तैरना तो कभी डूबना
गायन और गायन।
Poems About Rivers in Hindi
‘नदी आ गई’ आओ नहा लो,
सभी को आमंत्रित करें।
उपस्थित सभी सज्जनों को,
नदी का परिचय।
अगर हम दिमाग में आते हैं
जल्दी से नदी पार करो
नदी के उस पार खड़े
माँ हम रोते हैं
शाम ढल गई फिर नदी उठाई
इसे अपने कंधे पर ले जाओ
हम उसे वहीं से लाए जहां हम थे
जाओ और इसे वहीं रखो
नदी के उस पार खड़े
माँ हम रोते हैं
शाम ढल गई फिर नदी उठाई
इसे अपने कंधे पर ले जाओ
हम उसे वहीं से लाए जहां हम थे
जाओ और इसे वहीं रखो
नदी यहाँ पर मुड़ती है
फिर चलती ही जाती है
दोस्तों हम आसा करते है की हमारी कविताए Poem on River in Hindi आपको पसंद आई होगी अगर आपको यह कविताए पसंद आई हो तो शेयर करना न भूले और साथ ही कोई सुझाव हो तो कमेंट करके जरूर बताए| अगर आपने भी कोई कविताए लिखी है तो कमेंट करके जरूर बताए हम आपकी कविताओं को अपने आर्टिकल में जरूर लिखेंगे | नदियों के कारण ही आज पेड़ जिन्दा है earth भी खुस है क्यूंकि जल ही जीवन है। और मानव जीवन के अथार्त मानव की जिंदगी भी ऐसी पर है इसलिए नदिया हमारे लिए जरूरी है। धन्यवाद