Sadak Suraksha Par Kavita

5+ सड़क सुरक्षा( यातायात ) स्वरचित कविताएँ – Sadak Suraksha Par Kavita

Sadak Suraksha Par Kavita दोस्तों आज हमने सड़क सुरक्षा पर कविता हिंदी में  है। क्योकि हमारे देश में बहुत दुर्घटनाए होती है, कभी कभी तो परिवार के पुरे सदस्य इसका शिकार हो जाता है। इसलिये हमने सड़क के नियम बताते हुए कविताओं का वर्णन किया है।

Contents

Sadak Suraksha Par Kavita

बच्चों सड़क पार जब भी करना
बस इतनी बात ध्यान में रखना
,
पहले अपने दाई देखो
फिर तुम अपने बाये देखो

फिर से देखो दायें बाये
अगर जो मोटर गाड़ी आए

हॉर्न की  घंटी पड़े सुनाई
रुक जाना तब मेरे भाई।

जब यह सड़क साफ दिख जाए
मोटर गाडी नजर न आये

तभी सम्भल कर करना पार
कहलाओगे तुम होशियार।

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Sadak Suraksha Par Hindi Kavita 

Sadak Suraksha Par Kavita

यातायात के नियमो का सबको होता ज्ञान
इनका जो भी पालन करता खतरे से बच जाती जान

जहां कहीं भी चौराहा हो जलती हुई हो बत्ती लाल
इसका मतलब रुक जाना है करो प्रतीक्षा जानो हाल

पीली जले करो तैयारी हरी जलने पर चल दो श्रीमान
इनका जो भी पालन करता खतरे से बच जाती जान

पैदल जाना सड़क किनारे बायीं और देखो फुटपाथ
वाहन यदि चलाना है तो चलना सदा नियम के साथ

दो पहिया में लगा हेलमेट, सीट बेल्ट कस बैठो कार
मोबाइल को नहीं चलाना खतरे का बनता आधार

सड़क किनारे संकेतों की करना सीखो तुम पहचान
इनका जो भी पालन करता खतरे से बच जाती जान।

सड़क सुरक्षा पर छोटी सी कविता

Sadak Suraksha Par Kavita

सड़क बनी है लंबी चौड़ी
इस पर जाए मोटर दौड़ी

सब बच्चे पटरी पर आओ
बीच सड़क पर कभी ना आओ

आओगे तो दब जाओगे
चोट लगेगी पछताओगे।

सड़क सुरक्षा पर कविता

सड़क सुरक्षा रखे मान
इसका कुछ रखिए ज्ञान
तेज गति से ना चले
सीमा का रखिए ध्यान
जरूरी कागज रखिए
लाल न करिये पार
हरी से आगे न बढिये
कहत कवी कविराय
ये है जीवन बहुत जरुरी
चले सुरक्षित आप।

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Kavita On Sadak Suraksha

Sadak Suraksha Par Kavita

सड़क सुरक्षा को मानिये
इसका रखिये ज्ञान
तेज गति से न चलिए
सीमा पर रखिये आपने ध्यान
जरूरी कागज रखिये पास
लाल न करिये कभी पार
हरी देख कर बढिये आगे
जीवन बहुत जरूरी है
चले सुरक्षित हमेसा आप

सड़क सुरक्षा पर कविता

कहाँ – कहाँ से आती है सड़के
और कहाँ को जाती है सड़के
दौड़ दौड़ के जाती सड़के
दौड़ दौड़ के आती है

पर शायद ये सही न हो
लेकिन सड़क वहीं पर रहती है
दौड़ा तो हम करते है
पर सड़क सबकुछ सहती है

बोलो बोलो ए सड़क तुम्हारी
छाती पर कितना है बोझ
तुम समझ न पाओगे भईया
बोझ है छाती पे कितना

इतना बोझ तो धोकर में भी
ह नहीं, पर करती हूँ,
मेरा तप बस यही-यही है-
सोच, सभी कुछ सहती हूँ।

मैं बोल-ओ सड़क, तुम्हारी
कठिन तपस्या भारी है,
तुमसे ही जीवन में गति है
जग इसका आभारी है!

तब से भाई, जान गया हूँ
बड़े काम की चीज सड़क है,
जो इस पर कूड़ा फैलाते
उनसे होती मुझे रड़क है!

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