आप सभी लोगो ने(Sanyukt Vyanjan) कभी न कभी जरूर ही पढ़ा होगा तथा इसे याद भी किया ही होगा। संकुयक्त व्यंजन जब हम प्रार्थमिक कक्षाओ में होते है तब हमे पढ़ाया जाता है। यह हिंदी व्याकरण के ही भाग होते है।
हिंदी व्याकरण में संयुक्त व्यंजन का उपयोग शब्द बनाने के लिए क्या जाता है। ये व्यंजन पूरी हिंदी व्याकरण का आधार होते है। इन पर ही पूरी हिंदी व्याकरण तिकी होती है। तो आइये जानते है संयुक्त व्यंजन के बारे में विस्तार से।
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संयुक्त व्यंजन –
ऐसे शब्द जो व्यंजन 2 या फिर 2 से अधिक व्यंजनों के मिलने पर बनते हैं उन्हें संयुक्त व्यंजन कहा जाता है। संयुक्त व्यंजन – व्यंजन का ही एक प्रकार है। इस में जो पहला व्यंजन होता है वो हमेशा स्वर रहित होता है। और इसके अलावा दूसरा व्यंजन हमेशा स्वर सहित होता है।
यह कक्षा 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12 के विद्यार्थियों को स्कूल में पढ़ाया जाता है इसीलिए हमने सरल शब्दों में संयुक्त व्यंजन को उदाहरण के साथ समझाने का प्रयास किया है।
संयुक्त व्यंजन के हिंदी की वर्णमाला में कुल संख्या 4 है जो की निम्नलिखित हैं।
क्ष – क् + ष् + अ = क्ष
त्र – त् + र् + अ = त्र
ज्ञ – ज् + ञ् + अ = ज्ञ
श्र – श् + र् + अ = श्र
संयुक्त व्यंजन से बनने वाले शब्दों के कुछ उदहारण इस प्रकार हैं।
क्ष – क्षमता, अक्षर, परीक्षा, क्षत्रिय, अध्यक्ष, समक्ष, कक्षा, मीनाक्षी, सक्षम, यक्ष, भिक्षा, आकांक्षा, परीक्षित।
त्र – त्रिशूल, सर्वत्र, पत्र, गोत्र, वस्त्र, पात्र, सत्र, चित्र, एकत्रित, मंत्र, मूत्र, कृत्रिम, त्रुटि,त्रिवेणी,त्रिभुज,त्रिमूर्ति,त्रिकोणाकार,त्रिकोणात्मक,त्रिकोणीय,त्रिखंड,त्रिगुण,त्रिगुणात्मक,त्रिचक्री,त्रिज्या,त्रिताप।
ज्ञ – ज्ञानी, अनभिज्ञ, विज्ञान,अज्ञान, जिज्ञासा, सर्वज्ञ, विशेषज्ञ, अल्पज्ञ,ज्ञान,।
श्र – विश्राम, आश्रम, श्राप, श्रुति, श्रीमान, कुलश्रेष्ठ, श्रमिक, परिश्रम,श्रवण
श्रम,श्रद्धा,श्रदांजलि,श्रवणीय,श्रवणेंद्रिय,श्रवना,श्रव्य,श्रव्यकाव्य,श्रांत,श्रांति,श्राद्ध,श्राप,श्रावक,श्रावगी,श्रावण,श्रावणी।
निम्न टिप्पणी:-
क्र = क् + र् + अ,
द्व = द् + व् + अ,
ट्र = ट् + र् + अ,
द्ध = द् + ध् + अ,
द्य = द् + य् + अ
जैसे की :-
क्र = क्रम,क्रक
द्व = द्वार, द्वारा
ट्र = ट्रेन, ट्रैक्टर,ट्रॉली
द्ध = युद्ध, क्रमबद्ध, बुद्ध,सुद्ध
द्य = वैद्य, विद्या,विद्यालय
Sanyukt Akshar Wale Shabd
- क् + र = क्र = क्रम, क्रिकेट, क्रोध
- ग् + र = ग्र = ग्रीष्म, ग्राम, ग्राहक
- त् + र = त्र = पत्र, मित्र, त्रिभुज
- द् + र = प्र = द्र द्रोपदी, द्रुत, द्रोह
- प् + र = प्र = प्रकाश, प्रचार, प्रयोग
- ब् + र = ब्र = ब्रजभाषा, ब्राह्मण, ब्रेक
- भ् + र = भ्र = भ्रम, भ्रांति, भ्राता
- श्+ र = श्र = श्रद्धा, परिश्रम, श्रेणी
- र् + क = र्क = पार्क, मार्कर, तर्क
- र् + च = र्क = मिर्ची, खर्चा, खर्चीला
- र् + थ = र्थ = तीर्थ, अर्थ, स्वार्थ
- र् + प = र्प = सर्प, दर्पण, चर्परा
- र् + म = र्म = कर्म, धर्म, चर्म
- र् + य = र्य = धैर्य, सूर्य, कार्य
- र् + व = र्व = गर्व, आशीर्वाद, पर्व
- र् + ष = र्ष =हर्ष, हर्षित
- ट् + र = ट्र = ट्रेन, ट्रक, ट्रेडमार्क
- ड् + र = ड्र = ड्रॉइंग, ड्राइवर, ड्रामा
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