हेलो दोस्तों आज हम हमारे इस लेख में आपको हिंदी व्याकरण के एक भाग शब्द भेद (Shabd Bhed in Hindi) के बारे में जानकारी देंगे हम हमारी तरफ से आपको इस व्याकरण के टॉपिक पर पूरी जानकारी आप तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे आपके सारी समस्याओं का समाधान हम जरूर करेंगे।
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शब्द की परिभाषा(Shabd bhed in hindi)
शब्द विचार हिंदी व्याकरण का दूसरा खंड होता है जिसके अंतर्गत शब्द के परिभाषा भेद उपाय उपयोग संधि विच्छेद रूपांतरण निर्माण आदि से संबंधित नियमों पर विचार करते हैं एक या एक से अधिक वर्णों का समूह शब्द कहलाता है।
जैसे – शेर ,कुत्ता ,बैल, कौवा ,मोर ,कबूतर, गाय ,हाथी ,हिरण ,इत्यादि।
शब्द के भेद(difference of words)
1. व्युत्पत्ति के आधार पर
2. उत्पत्ति के आधार पर
3. प्रयोग के आधार पर
4. अर्थ की दृष्टि के आधार पर
1. व्युत्पत्ति के आधार पर(shabd bhed)
व्युत्पत्ति या बनावट के आधार पर शब्द के निम्नलिखित तीन भेद हैं – रूढ़ , योगिक और योगरूढ़
- रूढ़ शब्द :- जो शब्द किसी अन्य शब्दों के योग से बने होते हैं और किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं तथा जिन के टुकड़े का कोई अर्थ नहीं होगा वे रूढ़ शब्द कहलाते हैं जैसे कल ,पर इनमें क,ल, प,र के टुकड़े करने पर अर्थ नहीं बनता अथार्त ये निरर्थक है।
- योगिक शब्द :- शब्द कई सार्थक शब्दों से मिलकर बने होते हैं योगिक शब्द कहलाते हैं जैसे कि देवालय = देव + आलय , राजपुरुष = राज + पुरुष। यह सभी शब्द दो सार्थक शब्दों से मिलकर बने हैं
- योगरूढ़ शब्द :- यह शब्द जो योगिक होते हैं किंतु सामान्य अर्थ को नहीं प्रकट करते किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हो योगरूढ़ कहलाते हैं जैसे कि पंकज , दशानन आदि पंकज = पंख + ज (कीचड़ में उत्पन्न होने वाला )
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2. उत्पत्ति के आधार पर(shabd ke bhed)
उत्पत्ति के आधार पर शब्द के चार भेद है।
- तत्सम शब्द :- वे शब्द जो संस्कृत भाषा से हिंदी में बिना किसी बदलाव के लाए गए हो वे तत्सम शब्द कहलाते हैं जैसे अग्नि , क्षेत्र, वायु, सूर्य, रात्रि आदि।
तत्सम | हिंदी |
आम्र | आम |
उष्ट्र | ऊँट |
चुल्लिः | चूल्हा |
चतुष्पादिका | चैकी |
शलाका | सलाई |
चंचु | चोंच |
त्वरित | तुरत, तुरंत |
उद्वर्तन | उबटन |
खर्पर | खपरा, खप्पर |
तिक्त | तीता |
गोमल, गोमय | गोबर |
घोटक | घोङा |
शत | सौ |
सपत्नी | सौत |
हरिद्रा | हल्दी, हरदी |
पर्यक | पलंग |
भक्त | भात |
सूचि | सुई |
सक्तु | सत्तू |
क्षीर | खीर |
2. तद्भव शब्द :- वे शब्द जो रूप परिवर्तन करने के बाद संस्कृत से हिंदी में आए तद्भव शब्द कहलाते हैं जैसे आग का अग्नि ,खेत का क्षेत्र ,रात का रात्रि, सूर्य का सूरज आदि।
संस्कृत | प्राकृत | तद्भव |
अग्नि | अग्गि | आग |
मया | मई | मैं |
वत्स | वचन | बच्चा, बाछा |
चतुर्दश | चोद्दस, चउद्दह | चौदह |
पुष्प | पुष्फ | फूल |
चतुर्थ | चउट्ठ, चडत्थ | चौथा |
प्रिय | प्रिय | पिय, प्रिया |
कृतः | कओ | किया |
मध्य | मज्झ | में |
मयूर | मऊर | मोर |
वचन | वअण | बैन |
नव | नअ | नौ |
चत्वारि | चत्तारि | चार |
अर्द्धतृतीय | अड्ढतइअ | अढ़ाई, ढाई |
3. देशज शब्द :- वे शब्द जो क्षेत्रीय प्रभाव के कारण अपनी परिस्थिति में आवश्यकतानुसार बनकर प्रचलित किए जाते हैं वे देशज शब्द कहलाते हैं जैसे की पगड़ी, गाड़ी ,थैला,पेट आदि।
जैसे – तेंदुआ, चिङिया, कटरा, अंटा, ठेठ, कटोरा, खिङकी, ठुमरी, खखरा, चसक, जूता, कलाई, फुनगी, खिचङी, पगङी, बियाना, लोटा, डिबिया, डोंगा डाब इत्यादि।
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4. विदेशी शब्द :- वे शब्द जो विदेशी जातियों के संपर्क में आने पर उनकी भाषा में बहुत से शब्द हिंदी में प्रयुक्त होते हैं ऐसे शब्द विशेष विदेशी शब्द कहलाते हैं जैसे कि स्कूल ,अनार आम , अचार ,पुलिस आदि।
3. प्रयोग के आधार पर(shabd in hindi)
प्रयोग के आधार पर शब्द को 8 भागों में बांटा गया है जो कि निम्न प्रकार के हैं।
1.संज्ञा
2. विशेषण
3. सर्वनाम
4. क्रिया
5. क्रिया – विशेषण
6. संबोधन
7. समुच्चयबोधक
8. विस्मयादिबोधक
4. अर्थ की दृष्टि के आधार पर(shabd ki paribhasha)
अर्थ की दृष्टि के आधार पर शब्दों को दो भागों में बांटा गया है – सार्थक और निरर्थक
- सार्थक शब्द :- वे शब्द जिनका कुछ ना कुछ अर्थ होता है यह सार्थक शब्द कहलाते हैं जैसे की रोटी ,पानी, ममता ,डंडा आदि।
- निरर्थक शब्द :- वे शब्द जिन शब्दों का कोई अर्थ नहीं होता हो वह निर्धन शब्द कहलाते हैं जैसे की रोटी – बोटी , पानी – वानी,डंडा – डंडा। इसमें बानी डंडा आदि का निरीक्षण है इनका कोई अर्थ नहीं है
आज के इस लेख में आपको Shabd Bhed in Hindi के बारे में सम्पूर्ण जानकारी आप तक पहुचाने का प्रयास किया है आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो हमे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके बता सकते है और ऐसे ही हम आपको सभी प्रकार की जानकारी आप तक पहुचाहते रहेंगे